शिवराज सिंह चौहान के कई बड़े ऐलान, बोले- 21 साल होनी चाहिए लड़कियों के शादी की उम्र

Pooja Khodani
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शिवराज सरकार

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) का बड़ा बयान सामने आया है।मुख्यमंत्री का कहना है कि मुझे लगता है कि बेटियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल  कर देना चाहिये। मैं इसे बहस का विषय बनाना चाहता हूं। देश-प्रदेश (Madhya Pradesh) इस बात पर चिंतन करें। प्रत्येक गांव (Village) और विकासखंड स्तर पर हम बाल सुरक्षा समिति का गठन करेंगे। जिला स्तर पर महिलाओं के विरूद्ध अपराधों की जानकारी प्रत्येक वन स्टॉप सेंटर (One stop center) से साझा की जायेगी। ताकि पीड़ित महिलाओं का पुनर्वास किया जा सके।

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दरअसल, आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा महिला अपराध उन्मूलन में समाज की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश-स्तरीय महिला जागरूकता अभियान “सम्मान” का शुभारंभ किया गया। इस दौरान महिला अपराधों को रोकने अथवा घटित होने के उपरांत पीड़िता की सहायता करने वाले “असली हीरो” को सम्मानित भी किया गया। शिवराज ने कहा कि यह सरकार मूकदर्शक नहीं रहेगी।इस सरकार (MP Government) का संकल्प है अपराधियों को तबाह करना, नेस्तनाबूद करना और उन्हें मिट्टी में मिलाना।एक तरफ हम जागरुकता बढ़ाएंगे और दूसरी ओर अपराधियों को कड़ी सज़ा दिलाएंगे।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सार्वजनिक परिवहन (Public Transportation) व अन्य पब्लिक यूटिलिटी (Public utility) के वाहनों (Vehicles) में पैनिक बटन अनिवार्य करेंगे। जो बच्चे अपह्रत (Kidnap) होंगे उनकी बरामदगी के लिये चेक लिस्ट बनेगी, जिससे पता चल सके कि कितने दिन में कौन-कौन सी कार्रवाई होगी।एक नयी व्यवस्था लागू की जाएगी।  कोई भी लड़की जब काम के लिए बाहर जाती है तो उनका स्थानीय स्तर पर पंजीयन अब अनिवार्य रूप से किया जाएगा। उनकी सुरक्षा के लिए उनकी लगातार ट्रैकिंग(Tracking) की जायेगी और उन्हें कुछ संपर्क नम्बर दिए जायेंगे, ताकि वे संकट के समय संपर्क कर सकें।

पुलिस को दिए है यह निर्देश

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैंने पुलिस प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं कि मेरे प्रदेश की बेटियों को गायब करने वालों को बर्बाद करके छोड़ना है। मप्र की विधानसभा (MP Assembly) ने सबसे पहले ये कानून बनाया कि अगर बेटियों के साथ बलात्कार होंगे तो अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई जायेगी। हमारा अभियान समाज की मानसिकता बदलने का अभियान है। ये काम सिर्फ सरकार और पुलिस का नहीं है। बेटियों की सुरक्षा और सम्मान के लिये समाज की मानसिकता बदलनी पड़ेगी। बेटे के सौ गुनाह माफ, लेकिन बेटी पर सौ बंदिशें हैं। कोई घटना हो जाये तो बेटी को ही दोष दिया जाता है

हमारी सरकार मूकदर्शन नही रहेगा

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बेटियों पर फब्तियां कसने, धक्का देने, छेड़छाड़ करने वालों के विरुद्ध समाज को डटकर खड़ा होने की जरूरत है। हमारी सरकार मूकदर्शक नहीं रहेगी। ऐसे अपराधियों को हम पूरी तरह से नेस्तनाबूद करने के लिए संकल्पित हैं। मैं माता-पिताओं से भी आग्रह करता हूँ कि अपने बच्चों की उपेक्षा न करें।उनके मित्र बनें, उनकी समस्याएँ सुनें और उनका निवारण करें। बच्चे केवल प्रेम और स्नेह के भूखे होते हैं।रोजगार के लिए बाहर जाने वाले बेटे-बेटियों के रजिस्ट्रेशन की हम व्यवस्था बना रहे हैं, ताकि काम के बहाने इन्हें ले जाने वाले अपनी साजिश में सफल न हो सकें।

मानसिकता बदलना होगी, जागरुकता लानी होगी

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राज्य सरकार (State Government) महिला अपराधों (Crime) संबंधी विषयों में बेहद सतर्कता से कार्यवाही की जा रही है। इसी संवेदनशीलता का परिणाम है कि विगत 09 माह (अप्रैल से दिसम्बर 2020) में महिला संबंधी अपराधों में 15 प्रतिशत की कमी आयी है। इस साल हमारी सरकार ने गायब हुई बेटियों को वापस लाने के सघन प्रयास किया , जिनकी बदौलत लगभग 07 हजार 100 से अधिक गुमशुदा (Missing) लड़कियों को दुष्टों के चंगुल से छुड़ाया गया है।अपराधों को जड़ से समाप्त करने के लिए मानसिकता बदलना और जागरूकता लाना अनिवार्य है। हर लड़की की सुरक्षा समाज और सरकार दोनों का दायित्व है।

लाड़ली लक्ष्मी योजना जैसे अनके योजनाएं बनाई

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जब मैं 2005 में मुख्यमंत्री बना तब 2006 में हमने लाड़ली लक्ष्मी योजना (Ladli Laxmi Yojana) बनाई। हमने संकल्प लिया बेटी बोझ न बने, वरदान बने।बेटियों के लिए हमने गाँव की बेटी योजना, प्रतिभा किरण योजना , निशुल्क साइकल , पुस्तक और गणवेश वितरण योजना बनाई। हमने कन्या विवाह की योजना शुरू की, जन्म लेने से लेकर अंतिम सांस लेने तक हम बेटियों के साथ हैं।संचार क्रांति के युग में जो बच्चे, बालिकाएं एवं महिलाएं अपराध और अपराधियों से दूर थे वे भी अब इन्टरनेट (Internate) और सोशल मीडिया (Social Media) के कारण अपराधियों की चपेट में आ रहे हैं। और अपराधियों द्वारा विशेषकर उन्हीं को टारगेट किया जाता है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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