मध्य प्रदेश की सियासत में हाशिये पर जाते शिवराज!

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भोपाल। देश भर में मामा के नाम से मशहूर हो चुके मध्य प्रदेश के तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पार्टी में हाशिए पर हैं। 2018 में विधनसभा चुनाव में चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का इतिहास बनाने से चूके शिवराज अब अपनी पार्टी में दरकिनार होते जा रहे हैं। हार का ठीकरा भी पार्टी ने उनपर ही फोड़ा। अब प्रदेश के दिग्गज नेता भी उनसे दूरी बना रहे हैं। हाईकमान ने प्रदेश में नए अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर कई नामों पर विचार किया है। लेकिन वर्तमान अध्यक्ष राकेश सिंह का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है। 

 राकेश की दावेदारी मज़बूत मानी जा रही है। इस बीच प्रदेश के तीन दिग्गज नेता एक गुप्त बैठक करते हैं लेकिन इस बैठक में पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान शामिल नहीं होते। उनकी गैर मौजूदगी के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहा है क्या प्रदेश की राजनीति में शिवराज अपनी प्रासंगिकता खो रहे हैं? हालांकि, उन्होंने बैठक में शामिल नहीं होने पर कहा कि वह दिल्ली में पार्टी की केंद्रीय बैठक में शामिल हुए थे।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मध्यप्रदेश इकाई के लिए एक नए राज्य पार्टी अध्यक्ष की तलाश कर रही है, बावजूद इसके कि राकेश सिंह दूसरे कार्यकाल के लिए पद पर बने रहने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। राकेश सिंह, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्य संगठनात्मक महासचिव सुहास भगत के बीच हाल ही में एक बंद दरवाजा बैठक हुई थी। बाद में, इन तीनों के बीच तोमर के निवास पर एक और बैठक हुई। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इनमें से किसी भी बैठक में मौजूद नहीं थे। चौहान ने कहा कि वह नई दिल्ली में राष्ट्रीय चुनाव समिति की बैठकों में भाग लेने में व्यस्त थे, लेकिन इस बात की चर्चा है कि वह राज्य की राजनीति में तेजी से प्रासंगिकता खो रहे हैं।


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