शिव ‘राज’ में पॉवरफुल रहे इन अफसरों की ‘अफसरशाही’ पर लगी रोक

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भोपाल। देश भर में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर  आचार संहिता लागू होने वाली है। खबर है कि 7 से 11 मार्च के बीच चुनाव आयोग इसका ऐलान कर सकता है। उससे पहले मध्य प्रदेश में लगातार राज्य सरकार अफसरों के तबादले करने में व्यस्त है। शिवराज सरकार में पॉवरफुल रहने वाले अफसरों को कमलनाथ सरकार ने लूप लाइन में बेज दिया है। 

दरअसल, पॉवरफुल और हाई प्रोफाइल अफसर के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले सुलेमान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी थे। नई सरकार ने जब बड़ संख्या में IAS अफसरों को इधर से उधर किया, तब भी सुलेमान अपने स्थान पर बने रहे। उन्हें हटाए जाने के कयासों के बीच लोक निर्माण विभाग का प्रभार भी सौंप दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक कमलनाथ सरकार ने सुलेमान पर लगे आरोपों को नजरअंदाज करते हुए उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने का समय देते रहे, लेकिन वे सीएम की कसौटी पर खरे नहीं उतरे। 

राजौरा पर सीएम ने जताया भरोसा

फेरबदल में किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजौरा सबसे ताकतवर अफसर बनकर उभरे हैं। किसानों का कर्ज माफ करने के कांग्रेस के वादे को पूरा करने के लिए जय किसान कृषि ऋण माफी योजना बनाकर इसका बेहतर क्रियान्वयन करने से मुख्यमंत्री कमल नाथ का उन पर भरोसा बढ़ा है। इसके कारण उन्हें कृषि विभाग के साथ-साथ उद्योग नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग का प्रभार सौंपा गया है। इस फेरबदल में दूसरे ताकतवर अफसर के रूप में एसएन मिश्रा उभरकर सामने आए हैं। वे अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव हैं। उन्हें अब गृह विभाग का दायित्व भी सौंपा गया है।

15 साल की भाजपा सरकार के बाद प्रदेश की सत्ता संभालने वाले मुख्यमंत्री कमल नाथ आईएएस अफसरों के तबादले में अपने लंबे प्रशासनिक अनुभव का उपयोग कर रहे हैं। पूर्व सरकार में पॉवरफुल और शिवराज के करीबी रहे अफसरों को एकाएक बदलने के बजाय उन्होंने पहले इन्हें पूरा मौका दिया, लेकिन अपेक्षानुसार रिजल्ट नहीं मिलने पर एक-एक करके इन्हें अब हटाया। बदले की भावना से तबादलों के आरोप से बचने के लिए मुख्यमंत्री  कमल नाथ ने पहले ऐसे अधिकारियों को चिन्हित कर प्रमुख विभागों की जवाबदारी सौंपी और उनके कामकाज पर बारीकी से नजर रखी। जरा सी चूक सामने आने पर इन्हें हटा भी दिया। आईएएस सुलेमान को उद्योग विभाग के साथ-साथ लोक निर्माण विभाग का दायित्व भी सौंपा था, लेकिन अब उनसे दोनों विभाग वापस ले लिए गए हैं। इसी तरह शिवराज के एक और करीबी अफसर, भोपाल और इंदौर कले टर रहे निशांत बरबड़े को राष्���्रीय स्वास्थ्य मिशन का संचालक बनाया था। ताजा फेरबदल में उन्हें मप्र मानव अधिकार आयोग का सचिव बनाकर लूपलाइन में भेजा गया है।


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