भोपाल। भोपाल। मध्य प्रदेश के चुनावी रण में प्रमुख मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही रहता है। कुछ सीटों पर तीसरे दल का प्रभाव है लेकिन वह सिर्फ एक या फिर दो ही सीट पर सीमीत रहते हैं। हालांकि, वास्तविकता अलग है और तीन दलों-बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा), गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) ने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में वोट बैंक तैयार किया है। प्रदेश की आठ सीटों पर इन पार्टियोंं का सीधा दखल है।
प्रदेश के उत्तर इलाके के मुरैना की बात की जाए तो यहां 2014 के चुनाव में मोदी लहर का प्रभाव था। बीजेपी से अनूप मिश्रा को टिकट दिया गया था। मिश्रा 3.75 लाख वोट से जीते थे। बीएसपी के बृंदावन सिंह सिकरवार को 2.42 लाख वोट मिले थे। इस सीट पर कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ गोविंद सिंह को एक लाख 84 हजार वोट मिले थे और वह तीसरे स्थान पर रहे थे। इस सीट पर सीधा मुकाबला बीजेपी और बीएसपी के बीच हुआ था। ऐसी कई सीट हैं जहां कांग्रेस के उम्मीदवार सपा और बसपा के कारण हारे। कुछ सीटों पर गोंडवाना पार्टी भी वोट काटने में कामयाब हुई। रीवा सीट की बात की जाए तो 2014 में इस सीट से जनार्दन मिश्रा जीते थे। मिश्रा को 3.83 लाख वोट मिले थे। कांग्रेस के सुंगरलाल तिवारी को 2.14 लाख वोट मिले थे। हालांकि, इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला था, बीएसपी से देवराज पटेल तीसरे नंबर पर रहे थे और उन्हें 1.75 लाख वोट मिले थे। बता दें इस सीट पर 2009 में बीएसपी के उम्मीदवार की जीत हुई थी।
इसी तरह गोंडवाना पार्टी का भी आदिवासी सीटों पर प्रभाव है। हालांकि, पश्चिमी एमपी में आदिवासी निर्वाचन क्षेत्र, जय आदिवासी युवा शक्ति (JAYS) अब अधिक लोकप्रिय हो रहा है। इस बार प्रदेश में सपा और बसपा मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। जिसका सीधा असर कांग्रेस के वोटबैंक पर पड़ेगा। राज्य के पूर्वी हिस्से में विंध्य के अलावा ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में बसपा का प्रभाव है, जबकि सपा का यूपी की सीमा से लगे क्षेत्रों में प्रभाव है। बालाघाट इसका ताजा उदाहरण है यहां चार उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है। इसमें सपा और बीजेपी मुख्य लड़ाई में नजर आ रहे हैं। 2014 में, बोध सिंह भगत ने 4.80 लाख वोट हासिल किए थे और कांग्रेस की हिना कावरे को हराया था, जिन्हें 3.84 लाख वोट मिले थे। लेकिन सपा और बसपा के उम्मीदवारों के प्रदर्शन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है – सपा की अनुभा मुंजारे को लगभग 1 लाख वोट मिले थे
कुछ अन्य सीटों पर जहां इन दलों के नतीजों का असर है, उनमें भिंड, खजुराहो और आदिवासी बहुल शहडोल और मंडला सीटें शामिल हैं। सपा और बसपा दोनों को खजुराहो, यूपी की सीमा से लगे एक निर्वाचन क्षेत्र (बुंदेलखंड) में पर्याप्त समर्थन प्राप्त है। ग्वालियर में भी बसपा का मजबूत आधार है। पिछले चुनाव में, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कड़े मुकाबले में कांग्रेस के अशोक सिंह को हराया था। जीत का अंतर लगभग 29,000 वोटों का था। हालांकि, बसपा उम्मीदवार को यहां लगभग 70,000 वोट मिले थे। इन आठ निर्वाचन क्षेत्रों के अलावा, ’तीसरे मोर्चे’ की पार्टियों की दो अन्य सीटों- दमोह और सीधी में उपस्थिति है, जहां उनके प्रदर्शन का परिणाम पर असर पड़ सकता है, विशेष रूप से, एक करीबी प्रतियोगिता के मामले में।