एमपी की यह यूनिवर्सिटी विंग कमांडर अभिनंदन को ‘मानद उपाधि’ से करेगी सम्मानित

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भोपाल/इंदौर।

विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान की वापसी के बाद देशभर में जश्न का माहौल है। हर कोई उनकी वीरता और शौर्यता की तारीफ कर रहा है। लोगों के मन मे देशभक्ति की भावना जागृत हो रही है।सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक भारतीय जवाजों को सलाम किया जा रहा है। एमपी में भी कुछ ऐसा ही नजारा है।  एक तरफ जहां प्रदेश की कमलनाथ सरकार शहीदों के सम्मान में रविवार को एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन करने जा रही है, वही दूसरी तरफ इंदौर की देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी ने उन्हें मानद उपाधि देकर सम्मानित करने का फैसला लिया है।इससे पहले यूनिवर्सिटी पुलवामा हमले के बाद शहीदों के बच्चों की पूरी फीस और सैनिकों के बच्चों की आधी फीस माफ करने का निर्णय ले चुकी है।

दरअसल, युवक कांग्रेस अभिजीत पांडे ने ज्ञापन देकर देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में यह प्रस्ताव रखा गया था, कि जहां देशभर में विंग कमांडर का स्वागत और उनके शौर्य की तारीफ की जा रही है वही यूनिवर्सिटी को भी उन्हें मानद उपाधि देकर सम्मानित करना चाहिए। इस पर कार्यपरिषद सदस्य आलोक डाबर ने कुलपति प्रो. नरेंद्र धाकड़ को पत्र लिखकर कार्यपरिषद की अगली बैठक में प्रस्ताव लाने को कहा।इसके लिए कुलपति ने सहमति जता दी है। विश्वविद्यालय ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं।  कुलपति का कहना है कि कार्यपरिषद में प्रस्ताव रखकर सदस्यों की मंजूरी लेंगे। फिर दीक्षांत समारोह में उपाधि से सम्मानित किया जाएगा। यह पूरे शहर के लिए गौरव की बात होगी। वैसेे भी सैनिकों के लिए देशवासियों के मन में भरपूर सम्मान है।

अबतक सिर्फ दो ही बार मानद उपाधियां दी गई 

देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी पिछले तीन दीक्षांत समारोह से मानद उपाधि देने पर विचार कर रही है। इसके लिए कई नाम पर चर्चा हुई लेकिन, किसी पर सहमति नहीं बन पाई। अब तक यूनिवर्सिटी ने सिर्फ दो ही बार (1189 और 2007) में ही मानद उपाधियां दी। दोनों समारोह में कुल 15 शख्सियतों को मानद उपाधि से नवाजा गया।

जाने विंग कमांडर अभिनंदन के बारे में ये बातें

विंग कमांडर अभिनंदन 34 साल के हैं, वे नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से ग्रेजुएट है। अभिनंदन, जानेमाने पूर्व पायलट एयर मार्शल सिम्हाकुट्टी वर्धमान के बेटे हैं। वे पूर्वी वायु कमान के मुखिया पद से सेवानिवृत्त हुए थे। अभिनंदन भारत के तमिलनाडु के हैं। उनकी पैतृक जड़ें थिरुपनामूर गांव में हैं. उनके माता-पिता चेन्नई में रहते है। इंडियन एयरफोर्स में उनका चयन साल 2004 में एक फाइटर पायलट के तौर पर हुआ था। अपने 15 सालों के कॅरियर में वे दो बार प्रमोट हो चुके हैं। पहले उन्हें एक निपुण सुखोई 30 फाइटर पायलट का खिताब मिला। बाद में उनके युद्ध कौशल को देखते हुए विंग कमांडर के तौर पर प्रमोट किया गया. इसके बाद उन्‍हें मिग 21 बिसन सौंप दिया गया। उनकी एयरफोर्स की ट्रेनिंग भटिंडा और हलवारा में हुई है। वह सूर्य किरण एक्रोबेटिक टीम से हैं। 


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