भोपाल। भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर को बड़ी संत बताकर राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अब भोपाल में चुनावी सभाएं करेंगी। वे 16 साल बाद दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव प्रचार में उतरने जा रही है। जब दिग्विजय मुख्यमंत्री थे, तब उमा भारती ने उनके खिलाफ प्रदेश भर में आंदोलन छेड़ा और दिग्विजय सिंह को सरकार से बेदखल किया।
अब उमा भारती ने ट्वीट के जरिए कहा है कि वे भोपाल में भाजपा के लिए चुनाव प्रचार करेंगी। वे रविवार शाम को भोपाल पहुंची और सोमवार को उनकी प्रज्ञा ठाकुर से मुलाक़ात हुई| उमा की नाराजगी की खबरों के बीच प्रज्ञा की उनसे मुलाक़ात से यह साफ़ है कि अब उमा भोपाल में प्रज्ञा के लिए मैदान में उतरेंगी| खुद को प्रज्ञा से छोटा बताने के बाद शुरू हुई सियासी चर्चाओं के बाद उमा भारती ने ट्वीट कर सफाई दी है। उमा भारती ने कहा कि मेरी बात को दूसरे संदर्भ में लिया गया है। मैंने यह बात इसलिए कही, क्योंकि मुझसे पूछा गया था कि क्या मैं साध्वी प्रज्ञा को खुद से छोटा या बड़ा संत मानती हूं? उमा भारती ने कहा कि मैं साध्वी प्रज्ञा का बहुत आदर करती हूं। अब मैं भोपाल पहुंच गई हूं और उनके लिए चुनाव प्रचार में भाग लूंगी। उमा भारती ने एक के बाद एक सात ट्वीट किए। उन्होंने कहा कि मैं साध्वी प्रज्ञा के प्रति बहुत संवेदनशील हूं। साध्वी प्रज्ञा एक अखाड़े की प्रमुख हैं और निजी जीवन में बहुत कष्ट झेले हैं, इसी कारण मैंने यह टिप्पणी की थी।
उमा ने इसलिए बताया महान संत
उमा भारती ने बताया कि साध्वी प्रज्ञा ने अवधेशानंद महाराज से सन्यास लेने के बाद स्वयं अपना अखाड़ा बनाया है और उनके अपने अनुयायी भी हैं। वह सन्यासियों की परंपरा से जुड़ी संत हैं। जबकि मैं कृष्ण भक्ति संप्रदाय में वैष्णव मार्ग में दीक्षित हूं। उन्होंने कहा कि मेरे गुरु कर्नाटक उड्डपी पीठ के पेजावर स्वामी हैं। लेकिन मैंने कोई आश्रम, कोई शिष्य या अनुयायी नहीं बनाया। मेरा वैष्णव परंपरा में दीक्षित होकर सन्यासी होना निजी विषय है।
उमा पर संघ का दबाव
बताया गया कि प्रज्ञा को लेकर दिए गए बयान के बाद उमा भारती को संघ की ओर से प्रज्ञा के समर्थन में बयान देने का दबाव पड़ा। इसके बाद उन्होंने प्रज्ञा के समर्थन में कई ट्वीट किए और भोपाल में प्रचार के लिए आ गईं। अब एक बार फिर दिग्विजय के खिलाफ उमा मैदान में नजर आएँगी|
बंटाधार पर निशाना साधेगी उमा
भोपाल को बीजेपी की सुरक्षित सीट भी माना जाता है, यहां पार्टी पिछले 30 सालों से चुनाव जीतती आ रही है| दिग्विजय सिंह 1993 से 2003 तक लगातार 10 सालों तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, 2003 में मिली हार के बाद 16 सालों से दिग्विजय सिंह कोई भी चुनाव नहीं लड़े हैं| वहीं इस चुनाव को दिग्विजय सिंह पार्टी का चुनाव बताकर मैदान में उतरे हैं| दिग्वजय सिंह के चुनाव में सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते अपनाने के बाद बीजेपी ने कटटर हिन्दू चेहरे पर दांव खेला है| दिग्विजय के भोपाल से चुनाव लड़ने पर चुनाव रोचक हो गया है| जिसके लिए पार्टी ने उमा भारती को मैदान में उतार दिया है| उमा राममंदिर के समय से ही बीजेपी में हिंदुत्व का चेहरा रही है| मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार को उखाड़ फेंकने में उनका बड़ा योगदान था| अब उमा एक बार फिर दिग्विजय के खिलाफ मैदान में उतर कर दिग्विजय काल पर निशाना साधेगी| भाजपा लगातार दिग्विजय की घेराबंदी करते हुए बंटाधार को लेकर निशाना साध रही है|