चमोली आपदा पर उमा भारती का बयान, कहा- गंगा पर पावर प्रोजेक्ट के खिलाफ थी

Gaurav Sharma
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भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। बीते दिन उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) में ग्लेशियर टूटने (Glacier Breakdown) से आई आपदा (Disaster) ने देश को झकझोर कर रख दिया है। साल 2013 में केदारनाथ (kedarnath) में आए जल प्रलय के बाद की यह सबसे बड़ी घटना है। इस घटना में अब तक करीब 14 शव बरामद किए गए हैं, वहीं 170 से ज्यादा लोगों के लापता (missing) होने की आशंका जताई जा रही है। वहीं घटनास्थल पर राहत और बचाव (Relief and rescue) का कार्य लगातर जारी है। उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से हुई त्रासदी को लेकर बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री उमा भारती (BJP’s senior leader Uma Bharti) ने दुख प्रकट करते हुए ट्वीट किया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि जब वह मंत्री थी तब वह गंगा और उसकी मुख्य सहायक नदियों पर बांध बनाकर पनबिजली परियोजनाएं लगाने के सख्त खिलाफ थी।

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भाजपा नेत्री उमा भारती अपने ट्वीट में लिखती है कि जोशीमठ से 24 किलोमीटर पैंग गाव ज़िला चमोली उत्तराखंड के ऊपर का ग्लेशियर फिसलने से ऋषि गंगा पर बना हुआ पावर प्रोजेक्ट ज़ोर से टूटा और एक तबाही लेकर आगे बढ़ रहा है । मै गंगा मैया से प्रार्थना करती हूँ की माँ सबकी रक्षा करे तथा प्राणिमात्र की रक्षा करे । कल मै उत्तरकाशी में थी आज हरिद्वार पहुँची हूँ ।हरिद्वार में भी अलर्ट जारी हो गया है यानी की तबाही हरिद्वार आ सकती है । यह हादसा जो हिमालय में ऋषि गंगा पर हुआ यह चिंता एवं चेतावनी दोनो का विषय है ।

 

उमा भारती आगे लिखती है कि इस सम्बन्ध में मैंने जब मै मंत्री थी तब अपने मंत्रालय के तरफ़ से हिमालय उत्तराखंड के बांधो के बारे में जो ऐफ़िडेविट दिया था उसमें यही आग्रह किया था की हिमालय एक बहुत संवेदनशील स्थान है इसलिये गंगा एवं उसकी मुख्य सहायक नदियों पर पावर प्रोजेक्ट नही बनने चाहिएँ। तथा इससे उत्तराखंड की जो 12 % की क्षति होती है वह नैशनल ग्रीड से पूरी कर देनी चाहिये ।

उमा भारती आगे ट्वीट करते हुए लिखती है कि  मै इस दुर्घटना से बहुत दुःखी हूँ । उत्तराखंड देवभूमि है । वहाँ के लोग बहुत कठिनाई जा जीवन जी कर तिब्बत से लगी सीमाओं की रक्षा के लिए सजग रहते है । मैं उन सबके रक्षा के लिये भगवान से प्रार्थना करती हूँ । ज़िला चमोली,रुद्रप्रयाग ,पौड़ी सभी जिलो में रहने वाले अपने आत्मीय जनो से अपील करती हूँ की इस आपदा से प्रभावित लोगों के रक्षा व सेवा कार्यों में लग जाइये ।

 

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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