दिल्ली में अनोखा marriage fair, 50 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों के लिए जीवनसाथी ढूँढने का मौक़ा

अगर कोई व्यक्ति पचास साल की उम्र तक शादी नहीं करता है या फ़िर अपने जीवनसाथी को खो देता है तो क्या सारी उम्र तन्हां गुज़ारनी होगी। जबकि ज़्यादातर उम्र बढ़ने के बाद लोगों को जीवनसाथी की ज़्यादा ज़रुरत महसूस होती हैं। लेकिन कई बार लोग ख़ुद होकर अपने लिए पार्टनर तलाशने की पहल नहीं कर पाते हैं और कई बार उन्हें ऐसे मौक़े भी नहीं मिलते। इसी तरह के लोगों को अवसर दिलाने के लिए एक एनजीओ ने अनूठी पहल की है।

Gwalior News

Unique marriage fair in Delhi : शादी किस उम्र तक कर लेनी चाहिए। अमूमन तीस साल की उम्र तक हमारे यहाँ शादी हो जाया करती है। हालाँकि समय के साथ धीरे धीरे शादी करने की उम्र में भी इज़ाफ़ा हुआ है, लेकिन एक सामान्य मानसिकता है कि 30-35 तक शादी कर लेनी चाहिए। लेकिन उनका क्या, जो 50 साल की उम्र तक भी या तो अविवाहित रहते हैं या फिर अपने जीवनसाथी को खो देते हैं।

वरिष्ठ उम्र में जीवनसाथी तलाशने का अवसर

बुढ़ापे में अकेलापन सबसे ज़्यादा सताता है। कहा भी जाता है कि पकी हुई उम्र में ही जीवनसाथी की असली जरुरत होती है। लेकिन कई लोग ऐसे हैं तो किसी कारणवश शादी नहीं करते हैं। या फिर पचास साल की उम्र तक आते आते कई लोग अपने जीवनसाथी से बिछड़ भी जाते हैं। ऐसे में जीवन की साँझ का सफ़र तन्हां तय करना अक्सर मजबूरी भी हो जाता है। लेकिन क्या हो अगर इस उम्र में शादी की जा सके और इसके लिए कोई संगठन पहल भी करे।

दिल्ली में अनोखा मैरिज फेयर

हाल ही में दिल्ली में एक मैरिज-फेयर का आयोजन किया गया। इसकी ख़ास बात ये थी कि ये सिर्फ़ 50 साल से अधिक के लोगों के लिए आयोजित किया गया था। अहमदाबाद के अहम फ़ाउंडेशन द्वारा ‘वरिष्ठ नागरिक साथी परिचय सम्मेलन’ का आयोजन दिल्ली के महाराजा अग्रसेन भवन में हुआ। ये एक ऐसा इवेंट था जहां उम्रदराज़ लोगों को अपने लिए जीवनसाथी ढूँढने का मौक़ा दिया गया। इस सम्मेलन में 50 से लेकर 70 साल के लोग शामिल हुए। इनमें 70 पुरुष और 30 महिलाएँ शामिल थीं।

एनजीओ के अध्यक्ष का कहना है कि उनकी मंशा है कि 50 साल की उम्र के बाद अगर कोई शादी करना चाहे तो उन्हें सही अवसर  उपलब्ध कराया जा सके। कई बार लोग संकोच में या फिर जज किए जाने की आशंका के चलते ख़ुद के लिए पार्टनर तलाशने की पहल नहीं कर पाते हैं। ऐसे में अगर इस तरह के आयोजन होने लगे तो पहली बात ऐसे लोगों को सही अवसर मिलेगा और दूसरी बात, समाज में भी इस तरह की बातों को लेकर स्वीकार्यता बढ़ेगी। ये संस्था अब तक कई प्रदेशों में इस तरह के आयोजन कर चुकी है और उनका कहना है कि भविष्य में भी ये सिलसिला जारी रहेगा।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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