नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। साइंस और मेडिसीन एक ऐसा क्षेत्र, जहां हर दिन प्रयोग किए जाते है, लेकिन यह एक प्रक्रिया है और यही कारण है कि इसके परिणाम हमारे सामने एक समय के बाद ही आ पाते है। ऐसा ही एक प्रयोग अमेरिका के डॉक्टर ने अपने ऊपर किया और इसके परिणामों ने ना सिर्फ डॉ. जेम्स हैम्ब्लिन को बल्कि आमजन को भी अचंभित कर दिया है।
लोग अपनी त्वचा को सही या कहे आकर्षक रखने के लिए के लिए महंगे प्रोडक्ट्स खरीदते है या फिर लाखों रूपये खर्च कर अलग-अलग तरह की सर्जरी कराते है लेकिन डॉ. हैम्ब्लिन ने एक ऐसा तरीका खोज निकाला है, जिससे न सिर्फ आपकी जेब ढीली होगी बल्कि आपका समय भी बचेगा।
आपको यह जानकर अवश्य आश्चर्य होगा कि डॉ. हैम्ब्लिन ने पिछले पांच साल से साबुन का इस्तेमाल नहीं किया है। उन्होंने इसकी शुरुआत पैसा और समय बचाने के लिए की थी लेकिन उनका मुख्य उद्देश्य था अपनी त्वचा के माइक्रोबायोम को पनपने देना और उन पर शोध करना।
डॉ. हैम्ब्लिन ने इस प्रयोग की शुरुआत तब की जब वह अपने चिकित्सा करियर की शुरुआत में पहली बार ब्रुकलिन, न्यूयॉर्क में एक छोटे से अपार्टमेंट में शिफ्ट किए थे। अपनी पुस्तक क्लीन में, उन्होंने बताया हैं कि इसका एक हिस्सा लागत में कमी और समय की बचत से संबंधित था। उन्होंने कहा कि उन्होंने महसूस किया कि अगर वह दिन में लगभग 30 मिनट स्नान करते हैं, तो वह अपने जीवन के लगभग दो साल बर्बाद कर देते हैं। हालांकि, इस प्रयोग का असली कारण बायोलॉजिकल था।
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एक इंटरव्यू के दौरान डॉ. हैम्ब्लिन ने कहा, “मैंने अपने जीवन में बहुत कुछ कम किया है, और साथ ही, मैंने त्वचा के माइक्रोबायम के बारे में सीखना शुरू कर दिया है।गट माइक्रोबायोम की तरह, हमारे अंदर और हमारी त्वचा पर अरबों बैक्टीरिया रहते हैं। इस दौरान मैंने यह देखने की कोशिश की कि वास्तव में हमारी स्वच्छता, सौंदर्य की आदतों और सफाई का उद्देश्य क्या है क्योंकि हमारा शरीर हर समय बैक्टीरिया से ढका रहता हैं, जिनमें से अधिकांश फायदेमंद होते हैं।
हालांकि डॉ. जेम्स हैम्ब्लिन ऐसा प्रयोग करने वाले पहले व्यक्ति नहीं है। उनसे पहले उनके ही हमवतन केमिकल इंजीनियर डेविड व्हिटलॉक ने पिछले एक दशक से साबुन या पानी का उपयोग करने से परहेज करते हुए शॉवर के बजाय जीवित बैक्टीरिया के साथ स्प्रे का इस्तेमाल किया है और साथ ही यह दावा किया है कि, ऐसा करने से उन्हें कैसी स्किन क्रीम की आवश्यकता नहीं पड़ी और इससे उन्हें मुंहासे और एक्जिमा को ठीक करने में मदद मिली, जिससे वह पीड़ित थे।
पहले भी कई शोधकर्ता यह दावा कर चुके है कि, जो लोग सोचते है कि ज्यादा स्नान करने से वह स्वस्थ्य रह पाएंगे, गलत है क्योंकि इस दौरान वह अपने स्वयं के माइक्रोबायोम को नुकसान पहुंचाते हैं, जो संभावित रूप से लाभकारी बैक्टीरिया हो सकते हैं जो त्वचा के स्वास्थ्य में भूमिका निभाते हैं।
इस बात के भी प्रमाण हैं कि मुंहासे जैसी दिक्कत त्वचा के सामान्य माइक्रोबायोम में व्यवधान के कारण हो सकती हैं। लेकिन निश्चित रूप से इस तथ्य से भी परहेज नहीं किया जा सकता कि स्नान नहीं करने के नुकसान ज्यादा हैं कि यह घृणित और बदबूदार है।
हालांकि, डॉ. जेम्स हैम्ब्लिन ने इस बात पर भी रोशनी डाली कि जब वह स्नान कर रहे थे तो उनके शरीर की गंध उन वर्षों के दौरान ध्यान देने योग्य नहीं थी जब उन्होंने बिल्कुल स्नान नहीं किया था। उन्होंने कहा, “मेरी त्वचा धीरे-धीरे कम तैलीय हो गई, और मेरे एक्जिमा के धब्बे भी कम हो गए। साबुन का इस्तेमाल नहीं करने से देवदार या लैवेंडर की तरह गंध बेशक नहीं आई, लेकिन इस दौरान मुझसे प्याज की तरह भी गंध नहीं आ रही थी।
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फिर भी, क्या वह दूसरों को इस प्रक्रिया को पालन करने की सलाह देंगे तो इसके जवाब में डॉ. हैम्ब्लिन ने कहा, ” मैं यहां हर किसी के लिए इस दृष्टिकोण की सिफारिश करने के लिए नहीं हूं क्योंकि कई मायनों में यह भयानक था, लेकिन इसने मेरे जीवन को नई दिशा दी है।”