Health: गठिया या अर्थराइटिस आजकल युवाओं में भी आम हो रहा है। खराब जीवनशैली इसके मुख्य कारणों में से एक है। गठिया मुख्यतः दो प्रकार का होता है – ओस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड अर्थराइटिस। दोनों ही स्थितियों में जोड़ों में दर्द होता है। मानसून के मौसम में नमी के कारण गठिया का दर्द बढ़ सकता है। कुछ सावधानियों और उपायों से गठिया से बचा जा सकता है।
गठिया का दर्द मानसून में क्यों बढ़ता है?
मानसून के मौसम में गठिया के मरीजों को अक्सर जोड़ों का दर्द बढ़ने की शिकायत रहती है। इसका एक मुख्य कारण मौसम में होने वाले बदलाव हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून के दौरान बैरोमीटर का दबाव कम हो जाता है। इस दबाव में बदलाव के कारण जोड़ों के आसपास के ऊतक फैल जाते हैं। जब ये ऊतक फैलते हैं तो वे जोड़ों पर अधिक दबाव डालते हैं, जिससे दर्द और सूजन बढ़ सकती है। यही कारण है कि कई लोग मानसून में गठिया के दर्द से अधिक परेशान रहते हैं।
नियमित व्यायाम
नियमित व्यायाम इस समस्या से निपटने का एक बेहतरीन तरीका है। बारिश के दिनों में घर के अंदर ही साइकिल चलाना या हल्के स्ट्रेचिंग व्यायाम करना फायदेमंद होता है। इन व्यायामों से न केवल जोड़ों की अकड़न कम होती है बल्कि शरीर में रक्त का संचार भी बेहतर होता है। इससे जोड़ों में होने वाली सूजन और दर्द में आराम मिल सकता है। नियमित व्यायाम करने से जोड़ों की लचीलापन भी बढ़ती है, जिससे दैनिक गतिविधियों को आसानी से किया जा सकता है।
संतुलित आहार
मानसून के मौसम में गठिया के मरीजों को अपना वजन नियंत्रित रखना बेहद ज़रूरी है। बढ़ता वजन जोड़ों पर दबाव बढ़ाता है और गठिया के दर्द को और भी बदतर बना सकता है। इसलिए, संतुलित आहार लेना चाहिए जिसमें हरी सब्जियां और साबुत अनाज शामिल हों। तले-भुने खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए। साथ ही, जोड़ों को नमी से बचाने के लिए बारिश में कम से कम बाहर निकलना चाहिए। ये सभी उपाय गठिया के दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं और बेहतर स्वास्थ्य के लिए योगदान दे सकते हैं।
नियमित तेल मालिश
यदि गठिया का दर्द बढ़ जाए तो नियमित तेल मालिश काफी फायदेमंद हो सकती है। तिल या सरसों के तेल को हल्का गर्म करके दर्द वाली जगह पर मालिश करने से रक्त संचार बेहतर होता है। मालिश से मांसपेशियों को आराम मिलता है और जोड़ों की अकड़न कम होती है। इससे गठिया के दर्द में काफी हद तक आराम मिल सकता है। नियमित तेल मालिश करने से जोड़ों की लचीलापन बढ़ता है और दैनिक गतिविधियों को करने में आसानी होती है।