इन 7 फलों को भूलकर भी न रखें फ्रीज में, नष्ट हो जाएंगे सारे पोषक तत्व

Pooja Khodani
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हेल्थ, डेस्क रिपोर्ट।Fruit Store Tips. गर्मियों के मौसम में फल सब्जियां ज्यादा दिनों तक तरोताजा रहें इसके लिए उन्हें फ्रिज में रखा जाता है। ऐसा करते हुए हम कभी ये नहीं सोचते कि फ्रिज फल सब्जियों को नुकसान भी पहुंचा सकता है, क्योंकि फ्रीज में रखे फल और सब्जियां ज्यादा दिनों तक ताजे नजर आते हैं, लेकिन ये जान लेना बहुत जरूरी है कि हर फल और सब्जी को फ्रिज में रखना नुकसानदायी हो सकता है।कुछ फलों के सारे पोषक तत्व फ्रिज में खत्म हो जाते हैं, ऐसे फलों की पहचान बहुत आसान है। ये समझ लीजिए कि जिन फलों में मोटा पल्प होता है, उसे फ्रीज में नहीं रखा जाना चाहिए।

चलिए जानते हैं इससे क्या नुकसान हो सकते हैं।

आम- फलों का राजा आम तो गर्मियों की शान है, ऐसे लोग कम ही मिलेंगे जिन्हें आम पसंद न हो। एक बार आम लेने के बाद वो दिनोंदिन चले इसलिए फ्रिज में भी रख दिए जाते हैं, लेकिन फ्रिज आम में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स को खत्म कर देता है, इसलिए ठंडे आम के लालच में भी उसे फ्रिज में न रखें।

खरबूज या तरबूज- गर्मियों में तरावट बनाए रखने में ये दोनों फल बहुत काम के साबित होते हैं। इन फलों को एक बार में खत्म करना मुश्किल होता है, इसलिए लोग तरबूज या खरबूज के पीसेज कर फ्रिज में रख देते हैं, ऐसा करने से दोनों फलों का स्वाद तो उतर ही जाता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व भी कमजोर पड़ जाते हैं, इन फलों को ठंडा खाना पसंद है तो बमुश्किल आधा घंटा ही फ्रिज में रखें।

सेब- सेब को ज्यादा समय तक फ्रेश रखने के लिए उसे कागज में लपेट कर रखें। न कि फ्रिज में रखें। इससे सेब की रंगत, स्वाद और न्यूट्रिएंट्स सब कम पड़ जाते हैं।

लीची-रसीली लीचियां सिर्फ गर्मियों के मौसम में मिलती हैं, जिन्हें घर लाते ही लोग फ्रिज में रखने में जरा भी देर नहीं करते। पर, ये जान लीजिए कि फ्रिज में रखे रखे लीचियों का पल्प गल जाता है। छिलका भले ताजा दिखे लेकिन फ्रिज की हवा का असर लीचियों के पल्प की सीरत और सूरत दोनों खराब कर देता है।

केला- केले तो कभी फ्रिज में रखे ही नहीं जाने चाहिए। केले आसानी से उपलब्ध होने वाला फल है। कोशिश करें कि इसे घर में ज्यादा दिन स्टोर करने की जगह ताजे लेकर खा सकें। ऐसा नहीं भी हो सके तो फ्रिज को किसी डलिया या टोकरी में ही स्टोर करें।  फ्रिज में रखने से केले जल्दी गल कर काले पड़ते हैं।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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