पहले बात करते हैं आरुणिका की। संस्थान के शोधकर्ताओं ( researchers) ने बताया है कि अरुणिका नाम की इस हाइब्रिड प्रजाति के आम में भारी मात्रा में बायो एक्टिव कंपाउंड (bio-active compounds) हैं जो कि इसे औषधीय प्रकृति (medicinal properties) का बनाते हैं। मैंगीफेरिन (mangiferin) और लियोपोल (lupeol) नाम के बायोएक्टिव कंपाउंड इसे डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव के लिए उपयोगी बनाते हैं।
रेड ब्लश रंग (red blush colour) के इस आम में पाए जाने वाले बायो एक्टिव कंपाउंड शरीर में पहुंच कर आंतों (intestine) में गुलुकोज (gulucose) के अवशोषण (absorption) को रोकते हैं जिससे ब्लड गुलुकोज की मात्रा (leads to lower blood glucose levels) में कमी आती है। केवल इतना ही नहीं इसमें मौजूद मैंगीफेरिन ब्रेस्ट और कोलोन कैंसर (breast and colon cancer) जैसी गंभीर बीमारियों के खिलाफ भी शरीर की सुरक्षा करता है।
CISH के शोधकर्ताओं के मुताबिक लियोपोल की भारी मात्रा युक्त एक और वैरायटी का आम जो संस्थान में विकसित किया गया है वह है “साहेब पसंद”। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह आम की सबसे मीठी प्रजाति बताई जा रही है। अगर इस आम के औषधीय गुणों की बात करें तो यह सूजन, गठिया, मधुमेह, हृदय रोग (cardiovascular disease), गुर्दे की बीमारी (renal disease), यकृत विषाक्तता (hepatic toxicity), माइक्रोबियल संक्रमण (microbial infections) और कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में शरीर की क्षमता को बढ़ाता है।
CISH के निदेशक (director) शैलेंद्र राजन ने यह भी बताया कि संस्थान द्वारा विकसित किए गए इन हाइब्रिड आमों की प्रजातियों से निश्चित ही निकट भविष्य में ना केवल बेहतर पैदावार (yield) की उम्मीद की जा रही है बल्कि किसानों के लिए इनसे बेहतर आय (better income) भी उत्पन्न होगी। केवल इतना ही नहीं इन प्रजातियों के औषधीय गुण निश्चित ही देशवासियों के शरीर को स्वस्थ बनाने में भी मददगार साबित होंगे।