पपीते का भूलकर भी सेवन न करें ये लोग, झेलना पड़ सकता है नुकसान

Amit Sengar
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हेल्थ, डेस्क रिपोर्ट। पपीता खाने के कई फायदे हैं, पेट संबंधित रोगों में पपीता काफी फायदेमंद साबित होता है। इसके अलावा जो लोग वेट लॉस की कोशिश में जुटे हैं, उन्हें भी पपीता खाने से फायदा ही होता है। डायबीटीज, बीपी जैसी तकलीफों में भी पपीता खाना अच्छा ही होता है। हालांकि कुछ मेडिकल कंडिशन्स ऐसी होती हैं। जब पोषण से भरपूर इस फल को न खाने की सलाह ही दी जाती है।

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हार्टबीट अनियंत्रित हो तो

वैसे तो हार्ट पेशेंट्स को भी पपीता खाने के लिए कहा जाता है। लेकिन जिनकी हार्टबीट एक जैसी न हों यानि इरेगुलर हार्टबीट हों तो पपीते दूरी बनाए रखना ही बेहतर बताया जाता है। पपीते में साइनोजेनिक ग्लाइकोसाइड मौजूद होता है। ये एक तरह का अमीनो एसिड ही होता है। डाइजेशन के दौरान ये हाइड्रोजन सायनाइड में बदल जाता है। जो इरेगुलर हार्टबीट की समस्या को और बढ़ा सकता है।

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एलर्जी होने पर

जो लोग लेटेक्स नाम की एलर्जी से पीड़ित हैं, उनके लिए पपीता न खाना ही बेहतर होता है। ये एलर्जी खास किस्म के प्रोटीन की वजह से होती है। पपीते में मौजूद चिटिनेज एंजाइम की वजह से एलर्जी ज्यादा खतरनाक हो सकती है। एलर्जी से पीड़ित व्यक्ति को लगातार छींक आने लगती है या सांस लेने तक में दिक्कत हो सकी है।

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प्रेगनेंसी में

दादी नानी से आपने अक्सर गर्भावस्था में पपीता न खाने की सलाह सुनी होगी। पपीते में कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जो लेबर पेन इंड्यूस कर सकते हैं। इसलिए गर्भवती महिला को पपीता नहीं खाने दिया जाता। हालांकि कच्चे पपीते के बारे में ये सलाह दी जाती है। आमतौर पर गर्भवती महिलाएं पके पपीते यानि फल से भी दूरी बनाए रखती हैं।

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किडनी में पथरी होने पर

किडनी में पथरी होने की पीड़ा से जूझ रहे हों तो पपीते से दूर ही रहने की सलाह मिलती है, पपीता शरीर में जाकर कैल्शियम ऑक्सलेट भी बनाता है। ये तत्व किडनी में पथरी के लिए नुकसानदायी है। इसलिए पथरी होने पर पपीता न खाना ही बेहतर होता है। हालांकि ऐसी कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर या डाइटीशियन की सलाह लेकर ही खानपान की आदत बदलना बेहतर होगा।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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