हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं से हुई तबाही के बाद अब सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश की पंचायतों को अवैध निर्माण रोकने और नदियों-नालों के किनारे भवन निर्माण न होने देने की शक्तियां दी जा रही हैं। सरकार के आदेशों पर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग (टीसीपी) और पंचायती राज विभाग मिलकर एक विस्तृत प्लान तैयार कर रहे हैं। इसके तहत भवन निर्माण के लिए स्ट्रक्चर डिजाइन और नक्शा पास कराना अनिवार्य होगा। पंचायत प्रतिनिधि मौके पर जाकर यह जांच कर सकेंगे कि निर्माण टीसीपी से पास है या नहीं। अगर नक्शा पास नहीं होगा तो विभाग को सूचित किया जाएगा और संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
पंचायतों को अवैध निर्माण रोकने की शक्ति
बारिश और आपदाओं के दौरान हिमाचल में कई मकान ढह गए थे। इनमें से ज्यादातर भवन या तो बिना नक्शा पास कराए बनाए गए थे या फिर नदियों और नालों के बहुत करीब थे। नालों में पानी का बहाव बढ़ने से इन मकानों को भारी नुकसान हुआ। अब सरकार ने आपदा प्रभावितों को सात लाख रुपये और सामान की क्षति पर 70 हजार रुपये देने का फैसला लिया है। साथ ही यह निर्देश भी दिए गए हैं कि भविष्य में नए भवनों का निर्माण नदी-नालों से पर्याप्त दूरी पर ही किया जाए, ताकि दोबारा ऐसी त्रासदी का सामना न करना पड़े।
प्रदेश सरकार के नए नियमों के अनुसार नालों से सात मीटर और नदियों से डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर ही भवन निर्माण की अनुमति दी जाएगी। इसका उद्देश्य भवनों को सुरक्षित रखना और लोगों की जान-माल की रक्षा करना है। अधिकारियों का कहना है कि यह नियम सभी के लिए बाध्यकारी होंगे और पंचायतें इसकी निगरानी करेंगी।
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि पंचायतों को अधिक शक्तियां देकर उन्हें मजबूत किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरकारी भवनों के निर्माण के लिए भू-वैज्ञानिक रिपोर्ट अनिवार्य कर दी गई है। अब निजी भवनों के लिए भी इस रिपोर्ट को अनिवार्य करने पर विचार चल रहा है। धर्माणी का कहना है कि सरकार का लक्ष्य है कि हिमाचल में भवन निर्माण वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हो, जिससे आपदा के समय नुकसान को न्यूनतम किया जा सके।





