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Sat, Dec 20, 2025

ट्रंप सरकार के इस नए कानून से भारतीय छात्रों और प्रोफेशनल्स को लगा बड़ा झटका, अमेरिकन वीजा हुआ महंगा

Written by:Ronak Namdev
Published:
ट्रंप सरकार के नए इमिग्रेशन कानून के तहत अब अमेरिका जाने के लिए वीजा फीस में इजाफा किया गया है। इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर भारतीय स्टूडेंट्स, टूरिस्ट्स और प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा। बता दें कि 2026 से लागू होने वाले इस नियम के बाद वीजा की कुल लागत लगभग ढाई गुना तक बढ़ जाएगी।
ट्रंप सरकार के इस नए कानून से भारतीय छात्रों और प्रोफेशनल्स को लगा बड़ा झटका, अमेरिकन वीजा हुआ महंगा

अमेरिकन ड्रीम अब और भी महंगा हो गया है। दरअसल अमेरिका इमिग्रेशन पॉलिसी में एक बड़ा बदलाव करते हुए “वीजा इंटीग्रिटी फीस” नाम की नई फीस लागू कर दी है। यह नियम अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 4 जुलाई को साइन किए गए ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ के तहत आया है। वहीं इस नए कानून के तहत वीजा अप्लायर्स को 250 डॉलर (करीब ₹21,000) की अतिरिक्त फीस देनी होगी, जो इमिग्रेशन नियमों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए ली जाएगी।

जानकारी के अनुसार यह नया नियम 2026 से लागू होगा और इसका सबसे ज्यादा असर उन भारतीय नागरिकों पर पड़ेगा जो अमेरिका में पढ़ाई, काम या पर्यटन के मकसद से जाते हैं। अब बी-1/बी-2 (बिजनेस/टूरिस्ट), एफ/एम (स्टूडेंट), एच-1बी (वर्क वीजा) और जे (एक्सचेंज प्रोग्राम) वीजा कैटेगरी के तहत एप्लाई करने वालों को मौजूदा वीजा फीस के अलावा 250 डॉलर इंटीग्रिटी फीस देनी होगी।

अब अमेरिका ट्रैवल करना हुआ और महंगा

वहीं इसके अलावा 24 डॉलर की I-94 फीस और 13 डॉलर का ESTA चार्ज भी जुड़ेगा। यानी अगर आज कोई भारतीय बी-1/बी-2 वीजा के लिए 185 डॉलर चुका रहा है, तो 2026 के बाद उसे कुल मिलाकर लगभग 472 डॉलर (₹40,000+) देने होंगे। यह रकम मौजूदा फीस से ढाई गुना ज्यादा है। इससे साफ है कि अमेरिका जाना अब केवल डॉक्यूमेंट्स का नहीं बल्कि बजट का भी खेल होगा। दरअसल नया नियम अमेरिका के वीजा सिस्टम को मजबूत करने की दिशा में एक और कदम है, लेकिन इससे कई भारतीयों के लिए अमेरिका ट्रैवल करना एक बड़ी आर्थिक चुनौती बन सकता है। खासकर छात्रों और टूरिस्ट्स के लिए यह अतिरिक्त बोझ बन जाएगा।

किन लोगों को होगा सबसे ज्यादा नुकसान?

दरअसल सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह फीस एक प्रकार का सिक्योरिटी डिपॉजिट मानी जाएगी, जिसे कुछ शर्तों के पूरा होने पर रिफंड किया जा सकता है। मतलब, अगर कोई व्यक्ति अपने वीजा की समाप्ति के 5 दिनों के भीतर अमेरिका से लौट आता है, या अगर वह स्थायी निवास हासिल कर लेता है, तो उसे रिफंड का हक मिल सकता है। हालांकि, यह प्रोसेस ऑटोमैटिक नहीं है। इसके लिए पर्याप्त दस्तावेजों के साथ रिफंड के लिए अप्लाई करना होगा। ट्रंप प्रशासन का मकसद वीजा ओवरस्टे को कम करना और इमिग्रेशन नियमों को सख्ती से लागू करना है। लेकिन यह नई नीति कानूनी तरीके से यात्रा करने वाले लोगों को भी परेशान कर सकती है, खासकर डेवलपिंग देशों से आने वाले छात्रों और टूरिस्ट्स के लिए।

रिफंड का प्रोसेस आसान नहीं होगा 

वहीं फीस वापस पाने के लिए अप्लिकेंट्स को I-94 डॉक्यूमेंट और अन्य प्रमाण देने होंगे कि उन्होंने अमेरिका तय समय में छोड़ दिया या फिर वहां लीगल स्टेटस हासिल किया। अगर कोई भी शर्त पूरी नहीं होती, तो यह रकम अमेरिकी ट्रेजरी में चली जाएगी। अभी अमेरिकी विदेश विभाग से रिफंड प्रोसेस को लेकर और दिशानिर्देश आने बाकी हैं, लेकिन ये तय है कि नया कानून वीजा अप्लायर्स को पहले से ज्यादा सतर्क और तैयार रहने के लिए मजबूर करेगा।