Aerospace Engineering Jobs : एयरोस्पेस इंजीनियरिंग क्षेत्र में तेजी से रोजगार के अवसर बढ़े हैं। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग और एस्ट्रोनॉटिकल इंजीनियरिंग इसके दो प्रमुख फील्ड हैं। अगले दस वर्षों में भारत में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग क्षेत्र में 50 हजार नौकरियां आ सकती हैं। यानी हर वर्ष करीब पांच हजार। इस क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक छात्र 12वीं के बाद जेईई या किसी राज्य स्तरीय एंट्रेस एग्जाम के जरिए इंजीनियरिंग में एडमिशन ले सकते हैं। कंप्यूटर-एडेड डिजाइन (कैड) सॉफ्टवेयर और विभिन्न उपकरणों की गहन जानकारी इंडस्ट्री में एंट्री को आसान बनाते हैं। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के बाद आप इन क्षेत्रों में करियर बना सकते हैं।
एयरोस्पेस टेक्नीशियन
एयरोस्पेस इंडस्ट्री में टेक्नीशियन का अहम रोल रहता है। ये मशीनरी को तैयार करने, उसके रखरखाव और परीक्षण की जिम्मेदारी निभाते हैं।
एयरक्राफ्ट/स्पेसक्राफ्ट डिजाइनर
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग छात्रों के बीच एयरक्राफ्ट डिजाइनिंग सबसे ज्यादा डिमांड वाला करिअर ऑप्पान है। इंडस्ट्री में भारी प्रतिस्पर्धा के बीच हर साल सुरक्षित और अत्याधुनिक उपकरणों की आवश्यकता के बीच डिजाइनरों को मांग में इजाफा हुआ है।
एरोनॉटिकल इंजीनियर
विमानों में मौजूद बड़े जेट इंजन, अंतरिक्ष यान और मिसाइलों से लेकर छोटे सेंसर्स तक के निर्माण में इन इंजीनियर्स की जरूरत पड़ती है। ये इंजीनियर विमानों को बेहतरीन डिजाइन और तकनीक से लैस रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
मिशन एक्सपर्ट
ये एक्सपर्ट्स अंतरिक्ष अभियानों में डेटा कलेक्शन और अलग-अलग तरह के प्रयोगों के साथ अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में सहायता करते हैं। पूरे मिशन में ये टीम मेंबर्स बड़ी भूमिका निभाते हैं।
ड्राफ्टर्स
ड्राफ्टर्स किसी भी हवाई जहाज या मिसाइल का निर्माण करने से पहले, चित्र और खास दस्तावेज तैयार करते हैं। ये डॉक्युमेंट्स विमान निर्माण और किसी भी मिशन के लिए बेहद जरूरी होते हैं।