UGC ने जारी की अप्रेंटिसशिप-आधारित नई गाइडलाइन, शिक्षा और रोजगार के बीच की दूरी को कम करने का कदम

UGC ने हाल ही में अप्रेंटिसशिप-आधारित नई गाइडलाइन जारी की है, जिसका मकसद शिक्षा और उद्योग के बीच के फासले को खत्म करना है। इस पहल से छात्रों को सिर्फ किताबों का ज्ञान नहीं, बल्कि असली काम का अनुभव भी मिलेगा।

भावना चौबे
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UGC: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने अप्रेंटिसशिप वाले डिग्री प्रोग्राम के लिए नए दिशा निर्देश तैयार किए हैं और उसमें सुधार के लिए सभी स्टेक होल्डर्स से सुझाव मांगे हैं। इस प्रोग्राम का मकसद छात्रों को पढ़ाई के साथ व्यवहारिक ट्रेनिंग देना है। ताकि वे पढ़ाई खत्म करने के बाद नौकरी के लिए तैयार हो सकें। इस प्रोग्राम के जरिए छात्रों को उनके डिग्री कोर्स के दौरान ही अप्रेंटिसशिप करने का मौका मिलेगा, जिससे उन्हें काम का अनुभव भी मिल सकेगा।

आपको बता दें, माइक्रो ब्लॉगिंग साइट X पर एक पोस्ट के जरिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में सभी लोगों से कहा है कि वह नए दिशा निर्देशों पर अपनी राय दें। आयोग ने यह भी बताया कि लोग गूगल फॉर्म के जरिए अपने सुझाव, टिप्पणियां 30 दिनों के अंदर भेज सकते हैं। यह अवधि दिशा निर्देशों के प्रकाशित होने के तारीख से शुरू होगी इस कदम का मकसद नए निर्देशों को बेहतर बनाना है।

शिक्षा और उद्योग के बीच तालमेल

यूजीसी (UGC) ने हाल ही में एक नोटिस जारी कर कहा है, कि शिक्षा और उद्योग की आवश्यकताओं के बीच की खाई को भरने की आवश्यकता है। आयोग के अनुसार जो कुछ कक्षाओं में पढ़ाया जाता है और जो योग्यताएं उद्योग में जरूरी है, उनके बीच तालमेल बैठाना बहुत जरूरी है। इस संदर्भ में यूजीसी ने बताया विश्वविद्यालय के प्रोग्राम में उद्योग की आवश्यक योग्यताओं को शामिल किया जाना चाहिए। यह कार्य शिक्षा और रोजगार के बीच की दूरी को कम करने में सहायक होगा और इसमें अप्रेंटिसशिप की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

यूजीसी के तहत ट्रेनी नियुक्ति की आवश्यकताएँ

यूजीसी के नए नियमों के अनुसार, अप्रेंटिसशिप एंबेडेड डिग्री प्रोग्राम के लिए कुछ खास बातें हैं। ट्रेनी को नियुक्त करने के लिए सिर्फ वही कर्मचारी प्राप्त होंगे जिनके पास चार या उससे ज्यादा कर्मचारी है। वहीं, जिन कंपनी में 30 या अत्यधिक कर्मचारी है, उन्हें ट्रेनी नियुक्त करना अनिवार्य होगा। यूजीसी ने यह भी कहा है की कंपनी को एक वित्तीय वर्ष में 2.5% से 15% तक ट्रेनी नियुक्त करने होंगे। इसके अलावा कर्मचारियों की कुल संख्या में से कम से कम पांच प्रतिशत नए ट्रेनी और स्किल सर्टिफिकेट हकदार ट्रेनी के लिए आरक्षित किया जाएगा। ताकि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को काम का मौका मिल सके।

अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग को बढ़ावा देने की पहल

भारत सरकार ने संबंधित क्षेत्र में अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग की राष्ट्रीय योजना को लागू करने के लिए कुछ प्रमुख शहरों जैसे चेन्नई, कानपुर, मुंबई और कोलकाता में ‘स्वायत्त निकायों’ के तहत क्षेत्रीय बोर्ड स्थापित करने का निर्णय लिया है।

ये क्षेत्रीय बोर्ड अप्रेंटिसशिप और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग को प्रभावी ढंग से संचालित करेंगे। जिससे छात्रा को उद्योगों के मानकों के अनुसार प्रशिक्षित किया जा सकेगा। इस प्रोग्राम के अंतर्गत छात्रों को बेहतर अवसर मिलेंगे और उनके काउंसिल में निखार आएगा। इसके बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए आधिकारिक डॉक्यूमेंट पढ़ने की सलाह दी गई है।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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