ये भय खत्म कर देंगे आपकी क्रिएटिविटी, आज ही इन 7 लक्षणों पर काबू पाइये

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। क्या आपको भी हमेशा आलस्य (laziness) महसूस होता है। शरीर में ऊर्जा और जोश की कमी महसूस होती है और किसी काम को करने का मन नहीं होता। या फिर ये कि किसी भी काम को करने में नाकामयाबी का भय रहता है। ऐसा सभी के साथ कभी न कभी होता है। लेकिन अगर ये आदत में शुमार हो जाए तो मुश्किल का सबब बन सकता है। कई बार ये आलस न होकर हमारे मन की असुरक्षा (insecurities) भी होती है। आज हम ऐसे ही लक्षणों और उनके उपचार के बारे में जानेंगे।

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  • मुझे नहीं पता क्या करना है– अपने दिमाग के उस हिस्से को देखिये जहां से ये आवाज आ रही है। ये किस विकलता के कारण ये उसे खोजिये और अपने दिमाग से कहिए कि वो आपको गलत गाइड कर रहा है।
  • मुझसे नहीं होगा – यहां दिमाग ज़िद पकड़ लेता है। ये एक भय की स्थिति है जहां वो पलायन की मुद्रा में है। इस समय उसे थोड़ा डपटिये और मजबूर कीजिए ये दोहराने को कि ‘ये काम आपसे जरुर होगा।’
  • मुझे ये डर है कि मैं नाकाम हो जाऊंगा या फिर लोग मुझपर हंसेंगे – यहां आपको ये समझना है कि केवल इस भय से आप अपनी कामयाबी से शायद एक ही कदम की दूरी पर हैं। अगर आप उसे करेंगे ही नहीं तो नाकामी तय है, लेकिन करने की स्थिति में 50-50 प्रतिशत अवसर है जीत और हार के। लोगों की हंसी का डर सफलता मिलसे ही गायब हो जाएगा।
  • मैं बहुत थका हुआ है, मुझमें शक्ति नहीं है – अपनी आंख बंद कीजिए और सांस पर गौर कीजिए। ये सोचिए कि अगर आपको अभी कोई फिल्म देखने या कहीं घूमने का ऑफर दें तो आपकी सारी थकान गायब हो जाएगी। बस काम को भी इन्जॉय करते हुए अंजाम देने का विचार कीजिए।
  • मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता काम हो न हो – इस समय आपको उन मूल्यों को याद करना चाहिए जब हमारे बड़े बुजुर्ग या किताबें हमें सिखाती है कि सब कुछ अपने लिए ही नहीं करना होता। हम किसी और के लगाए पेड़ के फल खा रहे हैं, इसलिए पेड़ तो हमें भी लगाने होंगे।
  • इस काम को करने के लिए मैं काफी उम्रदराज हो गया हूं – ये केवल एक धारणा है, तथ्य नहीं। आप जितना टालेंगे काम उतना देरी से होगा। इसलिए उम्र को बहाना बनाए बिना उसे कर डालिये।
  • मैं बस एक आलसी व्यक्ति हूं – यहां आप सीधे सीधे स्वीकार रहे हैं और कोई तर्क नहीं दे रहे। इस समय आपको सिर्फ अपने आलस को दूर करना है, कुछ और जतन नहीं करने। ये सबसे आसान स्थिति है क्योंकि अपने दिमाग को ये समझाते ही कि आलस्य से किसी का भला नहीं होता, आप स्फूर्त हो उठेंगे।

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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।