सुखी जीवन के 9 नियम, इन्हें अपनाकर खुशियों को न्योता दीजिए

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। हम सब अपने जीवन में सुखी रहना चाहते हैं। सारी कवायद इसीलिए हैं कि हमें सुख मिले। लेकिन सुख की कई परिभाषाएं होती हैं और हमें उसे महसूसने के लिए अपनी मानसिकता में भी सकारात्मत परिवर्तन करना जरुरी है। आज हम आपके ऐसे 9 सूत्र बताने जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप सुख को और करीब से महसूस सकते हैं।

ये हैं वो कौशल, जिन्हें सीखकर आप जीवन में हमेशा कुछ बेहतर पाएंगे

  • ये विश्वास रखिये कि लोग बदलते हैं। अगर आप बदले हैं और अपने जीवन के अनुभवों से सीख ली है तो ये यकीन भी रखिये कि लोगों में भी परिवर्तन होता है।
  • कोई और आपपर भरोसा करे, उससे जरुरी है कि आप खुद पर भरोसा करे। आपका खुदपर कितना विश्वास है ये इस बात को भी तय करता है कि आप अपनी कोशिशों में कितना सफल होंगे।
  • खुद को सुनिये। हम सारी दुनिया की बात तो सुनते हैं लेकिन अपने मन की आवाज को अक्सर नजरअदाज कर देते हैं। अगर हम चाहते हैं कि लोग हमारी बात सुनें, तो उससे पहले हमें खुद को सुनना सीखना होगा।
  • वो सलाह जो आप दूसरों को देते हैं, पहले उसपर खुद अमल कीजिए। कोई भी सलाह खुद सबसे पहले आजमाना चाहिए।
  • वो माफी भी स्वीकारिये जो आपसे मांगी ही नहीं गई। तात्पर्य ये है कि लोगों को माफ करके आगे बढ़ना सीखिए। अगर हम ये इंतजार करते रहेंगे कि सामने वाला माफी मांगेगा तब हम माफ करेंगे, तो शायद हम खुद वहीं ठहरे रह जाएंगे।
  • कभी भी उस वादे पर यकीन मत कीजिए जो बार बार तोड़ा गया है। किसी ऐसे शख्स से जो अपनी बात पर कायम नहीं रहता, दूरी बनाना बेहतर।
  • हमेशा ईमानदार रहिए। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सच कितना कठोर है, ईमानदार रहना हर स्थिति में पहला विकल्प होना चाहिए।
  • अपनी तारीफ पर बहुत अधिक प्रसन्न न हों। ये अक्सर आपको खुश करने के लिए की जाती हैं और इसका असल में कोई अर्थ नहीं होता।
  • जीवन जैसा सामने आ रहा है उसे स्वीकारते जाइये। उसे बेहतर बनाने की कोशिश कीजिए लेकिन हमेशा जीवन के प्रति शिकायत से मत भरे रहिए। जीवन के प्रति कृतज्ञ रहिए।

About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।