भारत का इतिहास काफी रोमांचक और खूबसूरत रहा है। यहां एक से बढ़कर एक लोगों ने कलाकारी दिखाई है, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुके हैं। इनमें डाकुओं का नाम भी शामिल है, जिनका इतिहास काफी खतरनाक और डरावना रहा है। इनमें से कुछ डाकू ऐसे हैं, जिनके नाम हमेशा याद किए जाते हैं। ऐसे में आज हम आपको भारत के उस डाकू के बारे में बताएंगे, जो सबसे ज्यादा खूंखार था। इसे पकड़ने के लिए 20 करोड रुपए खर्च करने पड़े थे।
अक्सर आपने फिल्मों में डाकुओं के जीवन को करीब से देखा होगा। हालांकि, यह थोड़ी बहुत असल जीवन के डाकुओं से मिलती है, लेकिन पूरी नहीं क्योंकि हकीकत में वह बहुत ही ज्यादा खतरनाक होते हैं।

वीरप्पन डाकू (Veerappan Daku)
भारत में सबसे ज्यादा खतरनाक डाकू वीरप्पन को माना जाता है, जिसका इतिहास बहुत ही ज्यादा डरावना रहा है, जो कि कर्नाटक-तमिलनाडु को जोड़ने वाले जंगलों में रहा करता था। शुरुआती दिनों में इसका दबदबा बहुत कम था, लेकिन जैसे-जैसे वह हाथी के दांत और चंदन की लड़कियों की तस्करी करने लगा, वैसे-वैसे उसकी हिम्मत बढ़ती गई। धीरे-धीरे वह मर्डर और अपहरण में भी माहिर हो गया।
डर से थर-थर कांपते थे लोग
इतिहासकारों की मानें तो उसपर सैकड़ों केस अपहरण और मर्डर के मामले में दर्ज थे। वीरप्पन का नाम सुनते ही लोग थर-थर कांपने लगते थे, उनके माथे पर पसीना दिखाई देने लगता था। वह डाकू इतना ज्यादा खतरनाक था कि उसे पकड़ने की कोशिश करने पर 80 से ज्यादा पुलिसकर्मियों और फॉरेस्ट रेंजर्स को मार गिराया। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार ने उसे पकड़ने के लिए 20 करोड रुपए से ज्यादा खर्च किए थे। लंबी मूछ और कड़क आवाज उसकी पहचान थी।
ऐसे हुआ था अंत
हाल ही में वीरप्पन डाकू पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई गई। जिसे जड़ से मिटाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने तमिलनाडु स्पेशल टास्क फोर्स (STF) का गठन किया। जिसके चीफ विजय कुमार बने, तब टीम को 18 अक्टूबर के दिन यह भनक लगी कि वीरप्पन आंखों का इलाज करने के लिए जंगल से बाहर आ रहा है। तभी टीम ने प्लान तैयार किया। इसके तहत, एंबुलेंस में वीरप्पन को बिठाकर तय स्थान पर ले गया और ड्राइवर एंबुलेंस छोड़कर वहां से भाग गया, जहां पहले से ही एसटीएफ के जवान खाद लगाए बैठे थे। जिसके बाद उन्होंने 20 मिनट के अंदर एक के 47 से फायरिंग कर वीरप्पन का खात्मा कर दिया।