बहुत अच्छे एक्टर होते हैं आदतन झूठ बोलने वाले, जानिए झूठ से जुड़े 10 मनोवैज्ञानिक तथ्य

Psychology of Lies

Psychological facts related to lies : झूठ नहीं बोलना चाहिए..ये बात हमें बचपन से सिखाई जाती है। मानवीय व्यवहार में ‘झूठ’ एक बुराई और खराब आदत के रूप में जाना जाता है। लेकिन ये भी सच है कि हर व्यक्ति कभी न कभी झूठ बोलता ही है। अगर ये स्थितिजन्य हो और किसी को नुकसान नहीं पहुंचा रहा..तो फिर भी चल जाता है। लेकिन अगर झूठ बोलना किसी की आदत ही बन जाए, तो मामला गंभीर हो सकता है। लगातार झूठ बोलने के पीछे का मनोविज्ञान भी अलग होता है। आज हम झूठ बोलने की आदत से जुड़े कुछ मनोवैज्ञानिक तथ्य जानेंगे।

‘झूठ’ से जुड़े मनोवैज्ञानिक तथ्य

  • अगर कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा झूठ बोलता है, तो वो किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा बोले गए झूठ को बहुत जल्दी पकड़ लेगा। वो इस बात को भांपने में माहिर होता है।
  • झूठ बोलने से व्यक्ति किसी स्थिति में हेरफेर करके उस पर कथित तौर पर नियंत्रण स्थापित कर सकता है। इससे उन्हें असुरक्षा की भावना से मुक्ति मिलती है।
  • आदतन झूठ बोलने वाले दूसरों की भावनाओं के खिलवाड़ करने या उनका इस्तेमाल करने में बिलकुल नहीं घबराते हैं। वे आत्मविश्वास से भरे होते हैं और दूसरों पर अपना आधिपत्य जमाना जानते हैं।
  • झूठ बोलने वाले अच्छे एक्टर होते हैं और वो अपने हावभाव से दूसरों को यकीन दिलाने की पूरी कोशिश करते हैं।
  • आदतन झूठ बोलने वाले लोग अपने चेहरे के भावों को बोले जा रहे झूठ के मुताबिक बदलने की पूरी कोशिश करते हैं। अपनी बात को सही साबित करने के लिए वो अपनी भौहों और दांतों का इस्तेमाल करते हैं।
  • वे अभ्यास करते हैं और योजना बनाते हैं। एक अच्छी तरह से तैयार और व्यवस्थित झूठ को स्वाभाविक और विरोधाभासों से मुक्त बनाते हैं।
  • माना जाता है कि सामान्य व्यक्ति जब झूठ बोलता है तो बहुत अधिक विवरण पेश करता है, जो उसके झूठ को कमजोर साबित कर सकते हैं। लेकिन प्रभावी झूठ बोलने वाला व्यक्ति डिटेल तो देता है, मगर सिर्फ उतनी ही जो विश्वास करने के लिए काफी हो। इससे अधिक विस्तार वो अपने झूठ को नहीं देता है।
  • जो लोग प्रतिक्रिया देने में बहुत अधिक समय लेते हैं या अचानक “उम्म” और “अह” जैसे टाइम फिलर्स का उपयोग करते हैं, वे विश्वसनीय नहीं लगते हैं। इसलिए बहुत झूठ बोलने वाला व्यक्ति सायास इन बातों से बचता है।
  • आदतन झूठ बोलने वालों की याददाश्त काफी अच्छी होती है और वो अपनी झूठी कहानी को दूसरी तीसरी या जितनी भी बार सुनाना हो, पूरे परफेक्शन से सुनाते हैं।
  • झूठ बोलने वाले लोग अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए छल का सफलतापूर्वक उपयोग करना सीख लेते हैं। यदि उनका झूठ लगातार विफल रहा, तो संभवतः वे बेईमानी छोड़ देंगे और कुछ और प्रयास करेंगे।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसे लेकर कोई पुष्टि या दावा नहीं करते हैं।)


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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