वेटलॉस के चक्कर में ज्यादा गर्म पानी पीने वालों सावधान, हो सकती हैं ये परेशानियां

Gaurav Sharma
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जीवनशैली,डेस्क रिपोर्ट। वजन घटाने के लिए खूब सारा पानी पीने की सलाह दी जाती है वो भी सामान्य पानी नहीं। जो लोग वजन घटा रहे होते हैं उन्हें गर्म पानी पीने के लिए कहा जाता है। कुछ हेल्थ एक्सपर्ट सुबह खाली पेट गर्म पानी पीने के लिए भी कहते हैं। वैसे तो गर्म पानी पीना फायदेमंद ही है लेकिन जिस तरह हर सिक्के के दो पहलू होते हैं इस आदत के भी हैं। एक हद के बाद गर्म पानी भी नुकसानदायी हो जाता है। आइये जानते है क्या हैं हद से ज्यादा गर्म पानी पीने के नुकसान ।

किडनी पर असर
जितना ज्यादा गर्म पानी पिया जाता है उतनी बार शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। शरीर तो डिटोक्स होता है लेकिन इसका असर किडनियों पर पड़ता है, जिन्हें लगातार, बिना रेस्ट के काम करना पड़ता है। इससे किडनियों पर जोर भी ज्यादा पड़ता है और फिर उनके काम करने के तरीके भी बदल जाते हैं जिसका असर शरीर पर ही पड़ता है।

डाइजेशन पर असर
अगर आपको एंटसटाइन में अल्सर है या दाने हो रहे हैं तो गर्म पानी पीना नुकसान पहुंचा सकता है। इससे आंतों के काम करने के तरीके पर असर पड़ेगा जो अंततः आपके डाइजेशन पर भी असर डालेगा।

अंदरूनी अंगों पर असर
अगर आप लगातार सिर्फ गर्म पानी ही पीते हैं तो शरीर के हर अंग को उसी तापमान के अनुसार काम करने की आदत पड़ जाती है। ऐसे में अगर अचानक आप कभी गर्म पानी पीना छोड़ कर ठंडा पानी या सामान्य पानी पीते हैं तो शरीर के दूसरे अंगों के काम करने के तरीके पर उसका असर पड़ता है जो आपके लिए तकलीफदेह हो सकता है।

गर्म पानी पीने की आदत अच्छी है लेकिन तब तक जब तक की आप जरूरत से ज्यादा तापमान वाला पानी न पिएं, हल्का गुनगुना पानी ही पिएं, वो भी लगातार नहीं, दिन में कुछ समय के लिए ठंडा पानी या सामान्य पानी भी पिएं ताकि शरीर की आदत बनी रहे।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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