भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। इस बार देवी मां का त्यौहार यानि शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) 7 अक्टूबर से शुरू हो रही है। जिसकी तैयारियां हर जगह देखने को मिल रही है। नवरात्रि (Navratri 2021) के आते ही लोगों में “गरबा (Garba) और डांडिया (Dandiya)” के लिए भी खूब उत्साह देखा जाता है। कई जगह तो महीनों पहले से इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि नवरात्रि में ही आखिर गरबा क्यों खेला जाता है और नवरात्र और गरबे में क्या संबंध है? अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं कि देवी मां के इस पावन पर्व पर गरबा क्यों होता है।
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इस वजह से नवरात्रि पर खेला जाता है गरबा
आज के दौर में भले ही गरबा और डांडिया खेलना एक फैशन ट्रेंड के रूप में हो गया है लेकिन देवी मां के दरबार में गरबा और डांडिया खेलने का एक अलग महत्व है। ऐसी मान्यता है कि जब मां दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण किया था तो उनका 9 दिन तक युद्ध चला था और दसवे दिन उन्होंने महिषासुर का वध कर दिया था और इसी खुशी में हिंदुओं द्वारा 10 दिनों का माता रानी का त्यौहार मनाया जाता है जिसमें दसवे दिन विजयादशमी (Vijayadashami 2021) होती है।
जब लोगों को महिषासुर के अत्याचारों से मुक्ति मिल गई तो लोगों ने इस बात की खुशी नृत्य करके मनाई और इसी नृत्य को ही “गरबा” के नाम से जाना जाता है। कहते हैं ऐसी मान्यता है कि मां अंबे को यह नृत्य बहुत पसंद है और इसी वजह से देवी मां की स्थापना कर श्रद्धालु उनके सामने गरबा करते हैं जिससे मां प्रसन्न होती है।
गरबे और डांडिया में फर्क
अब आप सोच रहे होंगे कि हमने आपको सिर्फ गरबे का महत्व बताया डांडिये का नहीं। बहुत से लोगों को गरबे और डांडिया में फर्क शायद ही पता हो। तो चलिए आज वो भी हम आपको बताते है। यूं तो दोनों ही देवी मां की आराधना और उन्हें प्रसन्न करने के लिए किया जाता है लेकिन गरबे की शुरुआत जहां गुजरात से हुई तो वही डांडिया की वृंदावन से। गरबा हाथ से खेला जाता है और डांडिया रंगीन छड़ियों से। जहां गरबा मां दुर्गा की पूजा से पहले किया जाता है तो वही डांडिया पूजन के बाद। कहते हैं कि डांडिया की रंगीन छड़ी मां दुर्गा की तलवार है जिससे उन्होंने महिषासुर का वध किया था। डांडिया तलवार नृत्य और डांस ऑफ सवार्ड भी कहा जाता है।
गरबा में तीन ताली का महत्व
यह तो हो गई गरबे और डांडिये के इतिहास की बात। लेकिन अगर आप गरबा खेलना पसंद करते हैं और खेल चुके हैं तो आपने उसमें किए जाने वाले कुछ स्टेप्स पर ध्यान तो दिया ही होगा जिसमें से एक होती है “तीन ताली”… जी हां मां को प्रसन्न करने और गरबे में तीन ताली का अपना एक अलग महत्व है। दरअसल, महिलाएं गरबा खेलते समय तीन तालियों का प्रयोग करती हैं इसके पीछे की बड़ी वजह है ब्रह्मांड! जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश के आसपास ही घूमता है और इन्हीं देवताओं से जुड़ा हुआ है तीन तालियों का महत्व। तो चलिए जानते है।
पहली ताली- ऐसी मान्यता है कि गरबे में पहली ताली ब्रह्मा यानी इच्छा से संबंधित है। ब्रह्मा के अंगों को ब्रह्मांड के अंदर जागृत किया जाता है जो मनुष्य की इच्छा और भावनाओं को समर्थन देती है।
दूसरी ताली- दूसरी ताली का संबंध भगवान विष्णु से होता है जो मनुष्य के भीतर विष्णु रूपी तरंगे प्रदान करती हैं।
तीसरी ताली- तीसरी और आखरी तालिका संबंध देवों के देव महादेव से है। मान्यता है कि शिव के रूप में तरंगे मनुष्य की इच्छा पूर्ति के लिए उसे फल प्रदान करती हैं ताली की आवाज से जो तेज निर्मित होता है उससे मां अंबे शक्ति स्वरूप जागृत होती है और यही वजह है कि ताली बजा कर मां अंबे की आराधना की जाती है।