Navratri 2024: सनातन धर्म में नवरात्र का त्योहार बहुत महत्व रखता है। हर साल दो बार नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है पहला चित्र मा में और दूसरा आश्विन माह में जिसे शारदीय नवरात्र कहा जाता है। इस बार शारदीय नवरात्र 3 अक्टूबर से शुरू हुआ है और इसका समापन 11 अक्टूबर को होगा।
शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि स्कंदमाता की विधिपूर्वक उपासना करने से जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 7 अक्टूबर को सुबह 9:48 से शुरू होगी और इसका समापन 8 अक्टूबर को 11:18 पर होगा।
पूजा विधि (Navratri 2024)
शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा विधि के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और वस्त्र धारण करें। फिर मंदिर की सफाई करके पूजा की शुरुआत करें स्कंदमाता को चंदन, कुमकुम, फल, फूल आदि अर्पित करें। दीपक जलाकर आरती करें और स्कंदमाता के मित्रों का जाप करें। स्कंदमाता चालीसा का पाठ भी करें और व्रत कथा का पाठ करें। आखिर में केले और मिठाई का भोग लगे और मन से जीवन में सुख शांति की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें।
मां स्कंदमाता का प्रिय भोग
स्कंदमाता को केले का भोग लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि केले का भोग अर्पित करने से जातक को व्यवसाय और करियर में सफलता प्राप्त होती है। इसके साथ ही यह संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी लाभकारी होता है। भक्तों का विश्वास है कि इस भोग के माध्यम से मां स्कंदमाता अपने भक्तों को समृद्धि और खुशियों से भर देती है। जिससे जीवन में सुख और संतोष का अनुभव होता है।
मां स्कंदमाता का प्रिय फूल
मां स्कंदमाता की पूजा में गेंदे का फूल का विशेष महत्व है। इन फूलों को अर्पित करने से साधक को जीवन में सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। गेंदे के फूल की सुगंध और रंग बिरंगी सुंदरता मन के प्रति श्रद्धा और भक्ति को बढ़ाती है। मान्यता है कि गेंदे के फूलों का समर्पण मां स्कंदमाता को प्रसन्न करता है, जिससे भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और उसे जीवन में खुशहाली और समृद्धि का अनुभव होता है।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।