डेस्क रिपोर्ट। चैत्र नवरात्रि का आज सातवाँ दिन है और आज माँ कालरात्रि की पूजा का दिन है, यानि सातवें दिन देवी दुर्गा की सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा होती है। माना जाता है कि माँ कालरात्रि की पूजा से भक्त अकाल मृत्यु से बच जाता है, इसलिए इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, रक्तबीज नाम का एक दानव था जिसने देवों और आम लोगों को बहुत परेशान कर रखा था। रक्तबीज को वरदान प्राप्त था कि अगर उसके खून की एक बूंद भी जमीन पर गिरी तो उसके जैसा एक और पैदा हो जाएगा। इसी वरदान के चलते उसे कोई मार नहीं पा रहा था। सभी परेशान देवगण शिवजी के पास पहुंचे और शिवजी को यह ज्ञात था कि केवल देवी पार्वती ही उसे खत्म कर सकती हैं। अत: उन्होंने देवी से अनुरोध किया कि वो रक्तबीज का वध करें। फिर मां ने स्वयं शक्ति संधान किया। मां का चेहरा बेहद भयानक हो गया। वह एक हाथ से रक्तबीज पर प्रहार कर रही थीं तो दूसरे हाथ में एक मिट्टी के पात्र खप्पर से झेल लेतीं और रक्त को जमीन पर गिरने नहीं देतीं। इस तरह मां का यह रूप कालरात्रि कहलाया।
यह भी पढ़ें… कर्मचारियों को बड़ी राहत, सरकार ने जारी किया ये बड़ा आदेश, 2 मई तक रहेगा लागू
देवी कालरात्रि दुश्मनों का नाश करने वाली देवी है, और भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। देवी के इस स्वरूप के बारें में शास्त्रों में जो वर्णन मिलता है उसके अनुसार मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है। मां कालरात्रि की उपासना से लाभ- शत्रु और विरोधियों को नियंत्रित करने के लिए इनकी उपासना अत्यंत शुभ होती है, इनकी उपासना से भय,दुर्घटना तथा रोगों का नाश होता है और नकारात्मक ऊर्जा का असर नहीं होता, ज्योतिष में शनि ग्रह को नियंत्रित करने के लिए इनकी पूजा करना अदभुत परिणाम देता है, मां कालरात्रि व्यक्ति के सर्वोच्च चक्र, सहस्त्रार को नियंत्रित करती हैं, यह चक्र व्यक्ति को अत्यंत सात्विक बनाता है और देवत्व तक ले जाता है, इस चक्र पर गुरु का ध्यान किया जाता है।
कैसे करें पूजा
मां कालरात्रि की पूजा विधि- सबसे पहले मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं, उन्हें लाल फूल अर्पित करें. साथ ही गुड़ का भोग लगाएं. मां के मन्त्रों का जाप करें या सप्तशती का पाठ करें, लगाए गए गुड़ का आधा भाग परिवार में बाटें बाकी आधा गुड़ किसी ब्राह्मण को दान कर दें, काले रंग के वस्त्र धारण करके या किसी को नुकसान पंहुचाने के उद्देश्य से पूजा ना करें, शत्रु और विरोधियों को शांत करने के लिए श्वेत या लाल वस्त्र धारण करके रात्रि में मां कालरात्रि की पूजा करें। राजधानी भोपाल में भी भक्त माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना में जुटे है, शहर के देवी मंदिरों में भारी भीड़ सुबह से देर तक होने वाले धार्मिक आयोजनों में शामिल हो रही है, वही भोपाल के चूना भट्टी इलाके के कालका मंदिर में भी श्रद्धालु माथा टेकने पहुँच रहे है।