Wednesday Special: आर्थिक तंगी ने कर दिया जीना हराम ? गजानन संकष्टी पर करें ये 1 छोटा सा काम, मिलेगा छुटकारा

Wednesday Special: गजानन संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और गणेश जी की पूजा करने से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं और जीवन में सफलता और समृद्धि आती है।

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Wednesday Special: सावन का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस पवित्र मास में आने वाली चतुर्थी को विशेष रूप से पूजा जाता है। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गजानन संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है, जो भगवान गणेश को समर्पित है।गजानन संकष्टी चतुर्थी इस वर्ष 24 जुलाई को मनाई जाएगी। ज्योतिषियों के अनुसार, इस साल यह पर्व 7 शुभ योगों के साथ आ रहा है, जो इसे अत्यंत शुभ और फलदायी बनाता है। इन शुभ योगों में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार की सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन विघ्नहर्ता गणेश जी की आराधना की जाती है और उनकी कृपा पाने के लिए व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से की गई पूजा और उपवास से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

गजानन संकष्टी चतुर्थी का महत्त्व

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। गजानन संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा के लिए अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर और गणेश जी की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।

गजानन संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि

1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
2. घर को साफ-सुथरा करके गणेश जी की पूजा की तैयारी करें।
3. गणेश जी की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करके विधि-विधान से स्थापित करें।
4. गणेश जी को फूल, फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
5. गणेश जी के मंत्रों का जाप करें।
6. आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
7. गजानन संकष्टी चतुर्थी का मंत्र

भगवान गणेश के मंत्र

1. ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

2. ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

3. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

4. गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।

5. ‘गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।

6. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।

7. विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

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