भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। लड़कियों की माहवारी (menstruation) को लेकर तरह-तरह की गलतफहमियां और मिथक हैं। हाल ही में नासिक में कुछ छात्राओं को पीरियड्स (periods) के दौरान पौधारोपण करने से मना कर दिया गया। इसके पीछे अजीब सी वजह बताई गई कि माहवारी के दौरान पौधे लगाने से वो जल जाएंगे या सड़ जाएंगे। आखिर इस तरह की बातों का क्या आधार है और क्या वाकई में ऐसा कुछ होता है ?
ये भी देखिये – हैदराबाद के 13 वर्षीय कार्तिकेय के हौंसले के आगे नतमस्तक हुई 21 हजार फीट ऊंची पर्वत श्रृंखला
पीरियड्स पूरी तरह एक एक जैविक (biological) प्रक्रिया है। लेकिन आज भी हमारे समाज में इसे लेकर कई तरह की भ्रांतिया है। मासिक धर्म के दौरान धार्मिक स्थलों पर जाने की मनाही होती है। किचन में नहीं जाना चाहिए, खाना नहीं बनाना चाहिए। ये भी कहा जाता है कि इस दौरान अचार नहीं छूना चाहिए, वो खराब हो जाता है। पेड़ पौधे नहीं लगाने चाहिए और तुलसी के पौधे को छूना नहीं चाहिए। उन पांच दिनों में बाल भी नहीं धोने चाहिए। खट्टी एवं तीखी वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
इन दिनों महिलाओं के साथ छुआछूत वाला व्यवहार किया जाता है जोकि सरासर गलत है। सच्चाई ये है कि ये एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है। इस दौरान लड़कियों को हाइजीन और स्वास्थ्य का खयाल रखना चाहिए, आवश्यक हो तो आराम करना चाहिए लेकिन इसमें किसी भी तरह की छूआछूत जैसी कोई बात नहीं है। मासिक धर्म में न तो पौधे लगाने से वो सड़ते हैं न ही अचार को छूने से वो खराब होता है। ये रुढ़िवादी बातें हैं जिनके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं। विज्ञान इन भ्रांतियों को सिरे से खारिज करता है। इसलिए आप भी यदि कहीं देखें कि पीरियड्स के दौरान किसी के साथ अनुचित व्यवहार किया जा रहा है तो उसे रोकें और समझाएं कि ये सब बातें निराधार हैं और ये केवल ये शारीरिक प्रक्रिया है।