जीवनशैली, डेस्क रिपोर्ट। साड़ी (Saree) भारतीय संस्कृति का एक एहम हिस्सा है। साड़ी प्राचीन काल से ही महिलाओं के द्वारा इस्तेमाल में लाई गई है। बदलते वक्त के साड़ी का तरीका भी बदलता गया। मॉडर्न जमाने में साड़ी में मॉडर्न वस्त्रों में एक बन चुकी है। भारत से हुए साड़ी का प्रचलन पश्चिमी देशों में भी पहुँच चुका है। बॉलीवुड स्टार हो या कोई आम महिला, ऑफ़िस हो या फिर बाजार, हर क्षेत्र में साड़ी की पहचान कायम है। हिन्दू ग्रंथों में भी साड़ी का वर्णन है। चाहे वो माता सीता से जुड़ा हो या फिर द्रौपदी से। भारतीय संस्कृति के हिसाब से तो साड़ी को कभी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है, लेकिन क्या आपको पता है विज्ञान भी साड़ी को फायदेमंद मानता है।
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फैशन की दुनिया में साड़ी सबसे अधिक आरामदायक कपड़ों में से एक है। यह ना केवल फैशन के हिसाब से ढालता है बल्कि आपके शरीर में हवा को आने-जाने देता है। साड़ी एक ऐसा परिधान है, जिसमें ना तो किसी टेलर की जरूरत होती है और ना ही ज्यादा मेहनत की। यह आपके बॉडी पोस्चर को संतुलित रखता है। भारत में साड़ी के अनेकों प्रकार है और सबसे के फैब्रिक भी अलग होते हैं। बनारसी, चँदेरी, जामदानी, फुलकारी, आसामी, इत्यादि। एक साड़ी को तरीके से स्टाइल किया जा सकता है।
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साड़ी अधिकतम कॉटन और सिल्क से बना होता है, जो शरीर के लिए अच्छा होता है। कॉटन और सिल्क के साड़ी को पहनने से कई स्किन की बीमारियाँ दूर होती हैं। साथ साड़ी में इस्तेमाल किए जाना वाला फैब्रिक हर सीजन के लिए अच्छा होता है। जब कोई व्यक्ति किसी इंसान को साड़ी में देखता है तो उसे शक्ति, शांति और आनंद का अनुभव होता है। साड़ी मन को शांति देता है।
Disclaimer: इस खबर का उद्देश्य केवल शिक्षित करना है। हम इन बातों का दावा नहीं करते, यह केवल मान्यताओं और अध्ययन पर आधारित है। कृपया विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें।