Parenting Tips: छोटी उम्र में बच्चों को इमोशनल मैनेजमेंट सिखाने के 4 असरदार तरीके, आप भी जानें

Parenting Tips: बच्चों का भावनात्मक विकास उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि उनका शारीरिक और मानसिक विकास। छोटी उम्र से ही बच्चों को अपनी भावनाओं को समझने और उनका प्रबंधन करने में मदद करना उन्हें जीवन में सफल होने के लिए तैयार करता है।

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Parenting Tips: बच्चों की दुनिया रंगीन और भावनाओं से भरपूर होती है। एक पल वे खुशी से झूम रहे होते हैं, तो अगले ही पल निराशा के आंसू गिरा रहे होते हैं। उनके लिए इन तीव्र भावनाओं को समझना और उनका प्रबंधन करना सीखना एक कठिन लेकिन महत्वपूर्ण कार्य है। आप, एक माता-पिता, शिक्षक या देखभालकर्ता के रूप में, उनके भावनात्मक विकास में उनका साथ दे सकते हैं। आप उन्हें न केवल अपनी भावनाओं को पहचानना और व्यक्त करना सिखा सकते हैं, बल्कि उन पर नियंत्रण रखने के स्वस्थ तरीके भी बता सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसी 4 कारगर रणनीतियों के बारे में जो आपके बच्चे को भावनाओं से निपटने में मदद करेंगी।

1. भावनाओं को पहचानें और स्वीकार करें

बच्चों को अपनी भावनाओं को पहचानने में मदद करें। खुशी, उदासी, गुस्सा और डर जैसी भावनाओं के बारे में बात करें। उन्हें भावनाओं को व्यक्त करने के लिए विभिन्न शब्दों का उपयोग करना सिखाएं। उन्हें यह समझाएं कि हर कोई अलग-अलग तरह से भावनाओं का अनुभव करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात, उनकी भावनाओं को स्वीकार करें। उन्हें यह महसूस न कराएं कि उनकी भावनाएं गलत या अजीब हैं।

2. सक्रिय रूप से सुनें और सहानुभूति दिखाएं

जब बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं, तो उन्हें ध्यान से सुनें। उनका सम्मान करें और उनकी भावनाओं को समझने का प्रयास करें। आंख से संपर्क बनाए रखें और उन्हें बताएं कि आप उनकी परवाह करते हैं। सहानुभूति दिखाएं और उन्हें यह महसूस कराएं कि आप उनकी भावनाओं को समझते हैं।

3. स्वस्थ तरीके से भावनाओं को व्यक्त करने में मदद करें

बच्चों को अपनी भावनाओं को स्वस्थ तरीके से व्यक्त करने के लिए रणनीति सिखाएं। गहरी सांस लेने के व्यायाम, ध्यान और योग जैसी तकनीकें सिखाएं। उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए रचनात्मक गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें, जैसे कि पेंटिंग, ड्राइंग या संगीत बजाना। उन्हें अपनी भावनाओं के बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करें, चाहे वह आपके साथ हो, किसी शिक्षक के साथ हो या किसी दोस्त के साथ हो।

4. भावनाओं को प्रबंधित करने के लिए रणनीति सिखाएं

बच्चों को अपनी भावनाओं को शांत करने के लिए स्वस्थ गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें, जैसे कि खेल खेलना, प्रकृति में समय बिताना या किताबें पढ़ना। उन्हें अपनी भावनाओं को प्रबंधित करने के लिए सकारात्मक आत्म-बातचीत का उपयोग करना सिखाएं। उन्हें तनावपूर्ण परिस्थितियों से निपटने के लिए रणनीति सिखाएं, जैसे कि “टाइम आउट” लेना या “मैं” कथनों का उपयोग करना। उन्हें अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए पुरस्कार और सकारात्मक सुदृढीकरण का उपयोग करें।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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