बच्चा नहीं छोड़ रहा मिट्टी खाना? ये टिप्स करेंगी आपकी मदद, सुधर जाएगी आदत

अगर आपका बच्चा मिट्टी खाने की आदत नहीं छोड़ रहा है, तो अब परेशान होने की जरूरत नहीं है. कुछ आसान लेकिन असरदार उपाय अपनाकर आप इस समस्या को हल कर सकते हैं.

Bhawna Choubey
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छोटे बच्चों में मिट्टी खाने की आदत अक्सर देखी जाती है, जो आमतौर पर एक प्राकृतिक प्रक्रिया हो सकती है. लेकिन जब यह आदत हद से ज़्यादा बढ़ जाए तो यह एक समस्या बन सकती है. क्या आप जानते हैं कि इस समस्या को पिका कहा जाता है.

पिका की स्थिति में बच्चे आसामान्य चीज़ें जैसे मिट्टी, चूना , दिवार की पपड़ी या अन्य पदार्थ आने लगते हैं, जो की खाने योग्य नहीं होते हैं. यह आदत बच्चे की भूख पर असर डाल सकती है जिससे उनका पेट भी ख़राब हो सकता है साथ ही साथ पेट में कीड़े भी पड़ सकते हैं.

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ये टिप्स करेंगे आपकी मदद (Parenting Tips)

अगर समय रहते बच्चों की इन आदतों को ठीक नहीं किया जाए , तो यह बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में रुकावट डाल सकता है. बच्चों को इस आदत से छुटकारा दिलाने के लिए माता पिता को ध्यान रखना चाहिए कि वे उन्हें सही आहार दें, ताकि उनकी मानसिक स्थिति सही रहे साथ ही साथ शारीरिक स्थिति भी मज़बूत रहें.

केला खिलाएं

अगर आपका बच्चा भी मिट्टी खाता है और आप इस बात से परेशान है कि आप ऐसा क्या करें कि वह मिट्टी खाना छोड़ दें, तो इसके लिए ज़रूरी है कि आप उन है पोषक तत्व वाले फल या सब्ज़ियां खिलाई जैसे की बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास हो सके.

इसके लिए क़िला बहुत ही अच्छा माना जाता है, केला खाने से बच्चों का पेट भरा भरा रहता है, जैसे कि उन्हें लंबे समय तक भूख नहीं लगी और वे इन आदतों से दूर रहेंगे.

लौंग का पानी

इसके अलावा एक्सपर्ट का मानना है कि बच्चों की मिट्टी खाने की आदत छुड़ाने के लिए लौंग का पानी एक बहुत ही अच्छा उपाय माना जाता है. यदि बच्चा इसे सीधे नहीं पी पाता है, तो आप उसमें शहद मिलाकर आप उसे देख सकते हैं.

इस पानी के नियमित सेवन से बच्चों की इस आदत को कम किया जा सकता है. इतना ही नहीं इस पानी से बच्चों का पाचन तंत्र भी मज़बूत रहेगा.

अजवाइन का पानी

यदि बच्चे बार बार मिट्टी खाते हैं , तो रात में उन्हें सोने से पहले अजवाइन का पानी पिलाना अच्छा उपाय माना जाता है. यह न सिर्फ़ उनकी मिट्टी खाने की आदत को कम कर सकता है बल्कि उनके पाचन तंत्र को भी बेहतर बना सकता है.

अजवाइन में मौजूद कैल्शियम बच्चे के शारीरिक विकास के लिए भी हो सकते हैं, जिससे उनकी सेहत में सुधार होता है.

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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