Parenting Tips: क्या आपके भी बच्चे नहीं मानते हैं आपकी बात, कर देते हैं अनसुना, जानें कारण और अपनाएं यह टिप्स

Parenting Tips: जब बच्चे छोटे होते हैं तो उन्हें संभाल लेना अपनी बातें समझाना और उनकी बातें सुनना बहुत आसान होता। लेकिन जैसे-जैसे बच्चों की उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे उन्हें समझाना मुश्किल होते जाता है। बच्चे बड़े होते हैं तो माता-पिता की बातों को अनसुना करने लगते हैं, अगर आपके भी बच्चे आपकी बातों को अनसुना करते हैं तो एक बार इन बातों को जरूर पढ़ें।

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Parenting Tips: माता-पिता होने का फर्ज निभाना दुनिया का सबसे बड़ा फर्ज होता है। बच्चों को अच्छी परवरिश देना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। हर माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी परवरिश और संस्कार देना चाहते हैं। जब बच्चे छोटे होते हैं सब उन्हें संभालना आसान होता है लेकिन जैसे-जैसे बच्चों की उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे बच्चों को समझना और समझाना मुश्किल होता जाता है। कई बार एज गैप होने की वजह से बच्चों और माता-पिता की आपस में बन नहीं पाती है। हर माता-पिता चाहते है कि उनके बच्चे उनकी हर बात सुनें और उनका सम्मान करें। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि बच्चे अपने माता-पिता की बातों को अनसुना कर देते हैं। यह माता-पिता के लिए बहुत निराशाजनक हो सकता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।

अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे आपकी सारी बातें सुने और समझे तो आपको कुछ बदलाव और कुछ आदतों को अपनाने की जरूरत है। दरअसल, जब बच्चे बड़े होने लगते हैं तो उनमें काफी चीजों को लेकर बदलाव देखने को मिलता है। उन्हें अपने मन का करना ज्यादा अच्छा लगता है, ऐसी स्थिति में अपने बच्चों पर दबाव डालने, उन्हें डांटने फटकारने की वजह कुछ ऐसी टिप्स को फॉलो करना चाहिए जिससे बच्चे आपकी बात मान भी जाए और उन्हें बुरा भी ना लगे। इसी के साथ आज हम आपको इस लेख के द्वारा कुछ ऐसी ही टिप्स बताने जा रहें हैं जिन्हें फॉलो करने के बाद आपके बच्चे आपकी हर बात मानेंगे, साथ ही साथ हम यह भी जानेंगे कि किन कारणों की वजह से बच्चे आपकी बात नहीं मानते हैं, तो चलिए जानते हैं।

माता-पिता की बातों को अनसुना क्यों करते हैं बच्चे

1. ध्यान खींचने के लिए

कई बार बच्चे अपनी माता-पिता की बातों को अनसुना करते हैं ताकि वे उनका ध्यान आकर्षित कर सकें। कई बार माता-पिता अपने काम में इतने ज्यादा व्यस्त होते हैं कि वह अपने बच्चों की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं, जिस वजह से बच्चों को बुरा लगने लगता है और वह भी माता-पिता की बातों को नजरअंदाज करने लगते हैं ताकि माता-पिता का ध्यान उन पर जाए। वे जानते हैं कि जब वे ऐसा करते हैं, तो उनके माता-पिता उन पर ध्यान देंगे, भले ही वह नकारात्मक ध्यान हो।

2. आजादी दिखाने के लिए

जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वे अपनी स्वतंत्रता दिखाना चाहते हैं। वे अपनी पसंद और नापसंद के बारे में अपनी राय रखना चाहते हैं। वे अपनी माता-पिता की बातों को अनसुना करके यह दिखाने की कोशिश कर सकते हैं कि वे अब बच्चे नहीं हैं और वे अपने लिए सोच सकते हैं। जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो उन्हें बाहर निकलकर घूमना-फिरना पसंद होता है। लेकिन जब माता-पिता उन पर पाबंदी लगाते हैं तो उन्हें कैदी जैसा महसूस होने लगता है, जिस वजह से बच्चे चिढ़ जाते हैं और माता-पिता की बातों को नजरअंदाज करने लगते हैं।

3. ना पसंद काम करवाना

कई बार ऐसा होता है की माता-पिता अपने बच्चों को वह काम करने के लिए आगे करते हैं जिन्हें बच्चे पसंद नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए समझते हैं, जैसे कई बार बच्चे खेलते हैं या टीवी देखते हैं तब उन्हें अक्सर माता-पिता पढ़ाई करने के लिए कहते हैं। इसका यह मतलब है कि आप उन्हें दिलचस्प चीज को छोड़कर उन्हें बोरिंग चीज करने के लिए बोल रहे हैं। ऐसे में उन्हें अपना फेवरेट काम छोड़कर बोरिंग काम करना पड़ता है जिस वजह से भी बच्चे कई बार चिढ़ जाते हैं और अपना गुस्सा दिखाने के लिए माता-पिता की बातों को नजरअंदाज करने लगते हैं।

4. चिल्ला कर बोलना पसंद नहीं

कई बार ऐसा होता है की माता-पिता को जब अपने बच्चों से कुछ काम करवाना होता है तो वह ऑर्डर देने के तरीके से बोलते हैं या फिर चिल्ला कर बोलते हैं, ऑर्डर सुनना किसी भी बच्चे को बिल्कुल पसंद नहीं होता है। जब कभी भी आप उनसे प्यार से कुछ भी काम करने का बोलेंगे तो वह खुशी-खुशी करना पसंद करेंगे। लेकिन जब आप उनसे ऑर्डर के तरीके में या फिर चिल्ला कर कुछ काम करने का बोलते हैं तो वह फिर आपकी बात को अनसुना कर देते हैं।

5. दूसरे बच्चों से कंपेयर करना

अक्सर हर माता-पिता में यह आदत होती है कि वह अपने बच्चों को दूसरे बच्चों के साथ कंपेयर करते हैं। यह बात बच्चों को बिल्कुल पसंद नहीं आती है। आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि हर बच्चा अलग होता है, हर बच्चे की पसंद ना पसंद, काम करने का तरीका अलग होता है। इसलिए यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हर बच्चा अलग होता है। कुछ बच्चे दूसरों की तुलना में अधिक जिद्दी होते हैं। कुछ बच्चे दूसरों की तुलना में अधिक स्वतंत्र होते हैं। कुछ बच्चों को दूसरों की तुलना में ध्यान केंद्रित करने में अधिक कठिनाई होती है। इसलिए अपने बच्चों को दूसरे बच्चों के साथ कंपेयर करना बंद करें, बल्कि वह जैसे हैं उन्हें वैसा ही रहने दें।

किन टिप्स को करें फॉलो

1. शांत और धैर्य रखें

जब आप अपने बच्चे से बात कर रहे हों, तो शांत और धैर्य रखें। यदि आप गुस्सा या निराश हो जाते हैं, तो यह स्थिति को और खराब कर सकता है।

2. सम्मान के साथ व्यवहार करें

अपने बच्चे के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करें, भले ही वे आपकी बातों को सुनने से इनकार कर रहे हों। यदि आप उन्हें सम्मान के साथ व्यवहार करते हैं, तो वे भी आपकी बातों को सुनने की अधिक संभावना रखते हैं।

3. अपने बच्चे के साथ बातचीत करें

अपने बच्चे के साथ बातचीत करें और उन्हें अपनी बात रखने दें। यदि आप उन्हें अपनी बात रखने का मौका देते हैं, तो वे आपकी बातों को सुनने की अधिक संभावना रखते हैं।

4. अपने बच्चे के लिए एक अच्छा रोल मॉडल बनें

अपने बच्चे के लिए एक अच्छा रोल मॉडल बनें। यदि आप दूसरों की बातों को सुनते हैं, तो आपके बच्चे भी आपकी बातों को सुनने की अधिक संभावना रखते हैं।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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