अगर आपके बच्चे को रिश्तेदारों से मिलते वक्त होती है झिझक, तो जानें इसके 4 कारण

Parenting Tips: अगर आपके बच्चे को रिश्तेदारों से मिलते वक्त झिझक महसूस होती है, तो यह एक सामान्य स्थिति हो सकती है। बच्चे का यह व्यवहार उनके अंदर छुपी हुई असुरक्षा, नए लोगों से मिलने में डर या फिर पहले के किसी अप्रिय अनुभव का परिणाम हो सकता है।

भावना चौबे
Published on -
Parenting Tips

Parenting Tips: बच्चों की अपनी एक अलग दुनिया होती है जिसमें उनके अनुभव और भावनाएं उनके विकास के साथ बदलती रहती है। जब मैं नए लोगों से मिलते हैं खास रिश्तेदारों से तो उनकी झिझक स्वाभाविक होती है। इस जीजा के पीछे के कारण हो सकते हैं जैसे बच्चे का छोटा अनुभव, अजनबी माहौल यह रिश्तेदारों के साथ पहले का काम संपर्क।

बच्चों को रिश्तेदारों के साथ दुनिया मिलने में थोड़ी कठिनाई हो सकती है, क्योंकि उनका मन सुरक्षित महसूस करने के लिए फैमिलियर है और आराम माहौल चाहता है। यही कारण है कि बच्चों को नए रिश्तों और सामाजिक माहौल में एडजस्ट होने में समय लगता है। अगर आपके बच्चे भी घर आए मेहमानों में रिश्तेदारों का सामना करने से बचते हैं, तो उसका कारण समझना जरूरी है। बच्चों को इस तरह का व्यवहार उनके मनोवैज्ञानिक विकास और आसपास के माहौल पनीर पर करता है।

समझने वाली बात

एक्सपर्ट के अनुसार बच्चों का रिश्तेदारों से झिझकना सामान्य बात है, खासकर जब भी चिंतित असहज या डरे हुए महसूस करते हैं। यह स्थिति इस बात का संकेत हो सकती है, कि बच्चों को नए लोगों के साथ सहज होने और उन पर भरोसा करने में थोड़ा अधिक समय लगता है। बच्चों के लिए यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, क्योंकि वह धीरे-धीरे अपने आसपास के लोगों और परिस्थितियों से परिचित होते हैं।

मन में आते हैं सवाल

रिश्तेदारों से अपरिचित होने के कारण बच्चे अक्सर यह नहीं समझ पाते हैं क्योंकि अनजान लोगों से कैसे जुड़े और क्या बात करें। इस दौरान उनके मन में कई सवाल आते रहते हैं, जैसे क्या रिश्तेदार मुझसे गुस्सा होंगे, कहीं वह मुझे कोई सवाल ना पूछ लें, क्या वह मुझे कोई काम करवाएंगे आदि। यह डर और अनिश्चिता बच्चों को घबराहट महसूस कराते हैं, जिससे वह रिश्तेदारों से दूर भागते हैं।

ख़राब एक्सपीरियंस

कई मामलों में बच्चों की अतीत के कड़वे या असुविधाजनक अनुभव को भी उनके रिश्तेदारों से दूरी बनाने का कारण बन सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर किसी रिश्तेदार ने बच्चों पर कभी गुस्से में आकर चलाया है या फिर मारपीट की है तो बच्चे के मन में उसे व्यक्ति के प्रति डर अविश्वास पैदा हो सकता है। इस तरह की घटनाएं बच्चों को मानसिक रूप से प्रभावित करती है, जिससे वे ऐसे रिश्तेदारों से खुद को दूर रखने की कोशिश करते हैं।

 


About Author
भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

Other Latest News