माता-पिता के ज्यादा रोक-टोक से टीनएजर्स के दिमाग पर पड़ता है ये असर, जानें कैसे करें हैंडल

Parenting Tips: टीनएजर्स को अपनी पहचान बनाना बहुत जरूरी होता है। जब माता-पिता उनका ज्यादा कंट्रोल करते हैं या रोक-टोक करते हैं, तो इसका उनके दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। इससे गुस्सा, तनाव और आत्मविश्वास की कमी हो सकती है।

भावना चौबे
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Parenting Tips: जब बच्चे टीनएज की उम्र में प्रवेश करते हैं, तो उनके शारीरिक और मानसिक विकास में कई महत्वपूर्ण बदलाव आते हैं। इस उम्र में बच्चों की सोच और व्यवहार में भी बदलाव देखने को मिलता है। वे अपनी प्राइवेसी को लेकर अधिक चिंतित रहते हैं और खुद को स्वतंत्र महसूस करना चाहते हैं। यही कारण है कि अक्सर वे बड़ों से अपनी व्यक्तिगत बातें छुपाने की कोशिश करते हैं या उनकी सलाह को नजरअंदाज कर देते हैं। पेरेंट्स के लिए यह एक चुनौती बन सकता है क्योंकि वह अपने बच्चों की देखभाल और उनके भविष्य के लिए हमेशा चिंता में रहते हैं।

हालांकि, इस उम्र में बच्चों को समझने और उनके साथ संवाद स्थापित करना बेहद जरूरी होता है ताकि उनके विकास में सकारात्मक दिशा मिले। बच्चों को डांटना या रोकने से हमेशा सुधार नहीं होता। कई बार ऐसा करने से वे और भी जिद्दी हो सकते हैं और अपनी बातों को और ज्यादा छुपाने की कोशिश करते हैं। यदि आपके बच्चे में भी ऐसे बदलाव दिख रहे हैं तो यह समझना जरूरी है कि हर बच्चे का व्यक्तित्व अलग होता है और उन्हें सही तरीके से समझने की जरूरत होती है।

जानें कैसे करें हैंडल (Parenting Tips)

टीनएजर्स की स्वतंत्रता को समझें

टीनएज के दौरान बच्चों में स्वतंत्रता की चाह और आत्मनिर्भरता की भावना विकसित होती है, जिसे कई बार वे अधिक नियंत्रण या रोक टोक को आसानी से स्वीकार नहीं कर पाते हैं। ऐसे में अगर माता-पिता उन पर सख्त नियंत्रण करने की कोशिश करते हैं, तो उसका परिणाम उल्टा भी हो सकता है। हद से ज्यादा रोक-टोक के चलते बच्चे अपने विचार और भावनाओं को दबाने लगते हैं, जिससे उनके अंदर गुस्सा और आक्रोश बढ़ने लगता है।

अत्यधिक दबाव से बच्चों में तनाव

टीनएज उम्र में बच्चे खुद को समझने और अपनी पहचान बनाने की कोशिश करते हैं, इसलिए वे अक्सर अपने फैसलों को सही मानते हैं और खुद को प्राथमिकता देते हैं। जब माता-पिता उनके फैसले में बार-बार दखल देते हैं या उन पर जरूरत से ज्यादा दबाव डालते हैं, तो बच्चे इसे अपनी आजादी में रुकावट समझ लेते हैं। इससे उनके अंदर तनाव और चिंता बढ़ने लगती है, और वे उदासी महसूस करने लगते हैं। इसका असर यह होता है कि वह खुद को समाज और अपनों से दूर करने लगते हैं।

माता-पिता का दोस्ताना व्यवहार

टीनएज बच्चे जल्दी रिएक्ट करते हैं और जब चीज उनकी मर्जी के मुताबिक नहीं होती या माता-पिता उन्हें ज्यादा रोकते टोकते हैं, तो वह खुद को नुकसान पहुंचाने जैसे कदम भी उठा सकते हैं। इस गुस्से या उदासी में वे नशा करने, लापरवाही से गाड़ी चलाने या यहां तक की खुद को चोट पहुंचाने जैसी गलतियां कर सकते हैं। इस तरह की स्थितियों से बचने के लिए माता-पिता का अपने बच्चों से दोस्ताना व्यवहार रखना और उनकी बातों को समझने की कोशिश करना बहुत जरूरी है।

बच्चों के साथ खुलकर संवादमाता

टीनएज बच्चों के साथ उनके मन की बातें समझने के लिए जरूरी है आप उनसे आराम से और थोड़ा समय लेकर बात करें। उन्हें महसूस कराएं, कि आप उनसे बहुत प्यार करते हैं और हमेशा उनके अच्छे के लिए ही सोचते हैं। जब वह अपनी बात कहे तो धैर्य से सुनें और समझने की कोशिश करें। इससे बच्चों को लगेगा कि आप उनकी भावनाओं को समझते हैं और वह आपसे खुलकर अपनी परेशानियां या विचार साझा कर पाएंगे।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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