क्या बच्चों को सुख-सुविधाएं देना ही है अच्छी परवरिश? जानें सही तरीका

बच्चों की परवरिश में सुख-सुविधाओं का महत्व नकारा नहीं जा सकता, लेकिन क्या यही सबसे महत्वपूर्ण तत्व हैं? बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को हर वह आराम और सुविधा देना चाहते हैं जो वे चाहते हैं, यह सोचकर कि इससे उनका जीवन बेहतर होगा.

Bhawna Choubey
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जैसे-जैसे ज़माना बदल रहा है वैसे वैसे बच्चों की परवरिश (Parenting Tips) करना माता-पिता के लिए चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा है. आज कल बच्चों के पैदा होने से पहले ही माता-पिता को उनकी परवरिश की चिंता सताने लगती है.

कई तरह के सवाल मन में उठते हैं कि क्या हम भी अपने बच्चों की अच्छी परवरिश कर पाएंगे, क्या हम भी अपने बच्चों को अच्छी अच्छी बातें सीखा पाएंगे, क्या हम अपने बच्चों को सही और ग़लत में फ़र्क बता पाएंगे, इस तरह के कई सवाल माता पिता के मन में उठते रहते हैं.

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बच्चों की अच्छी परवरिश (Parenting Tips)

बच्चों की अच्छी परवरिश करने के लिए माता-पिता बच्चों को सारी सुख सुविधाएँ उपलब्ध कराते हैं, जिससे की बच्चों को कभी भी किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े, ना ही उन्हें कभी किसी चीज़ की कमी महसूस हो.

लेकिन फिर भी इन सबके बावजूद भी वे बच्चों की परवरिश में कुछ कमियां महसूस करते हैं, सबसे पहले ये बातें समझने की ज़रूरत है, क्या अच्छी परवरिश का मतलब बच्चों को अच्छी सुविधाएँ उपलब्ध कराने से हैं, क्या बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने से, अगर आपको भी इन सब चीज़ों को अच्छी परवरिश मानते है तो आप ग़लत है, ये बच्चों की ज़रूरत पूरी करता है, बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए, उनके साथ अच्छा व्यवहार करना, उनके प्यार करना, उनकी भावनाओं को समझना जरूरी हैं.

बच्चों से सकारात्मक बातें कहें

आजकल की भागदौड़ और कामकाजी ज़िंदगी में माता-पिता बच्चों के साथ ज़्यादा समय नहीं बिता पाते हैं, कई बार काम के दबाव और ज़िम्मेदारियों के चलते माता-पिता बच्चों के ऊपर चिढ़ जाते हैं.

साथ ही साथ ग़ुस्से में नकारात्मक बातें भी कहने लगते हैं, हर माता-पिता को यह बात समझनी चाहिए की बच्चे छोटे होते हैं, उन्हें पैसों से कोई मतलब नहीं होता है उन्हें सिर्फ़ और सिर्फ़ माता पिता का प्यार और सम्मान चाहिए रहता है, ऐसे में हमेशा अपने बच्चों से सकारात्मक बातें कहें.

बच्चों के साथ समय बिताए

अगर आप अपने बच्चों के साथ ज़्यादा समय नहीं बिता पाते हैं, तो यह परवरिश की सबसे बड़ी गलती है. आप चाहे बच्चों को कितनी भी चीज़ें क्यों न दिलवा दें, लेकिन बच्चे को हमेशा आपका थोड़ा समय चाहिए होता है, जिससे की वे अपने मन की बातें आपसे कह पायें, बच्चों के साथ समय बितानें और उनसे बातें करने से माता पिता का रिश्ता बच्चें के साथ मजबूत होता है.

दूसरे बच्चों के साथ तुलना करें

अक्सर देखा जाता है कि माता-पिता हमेशा अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों के साथ करते रहते हैं, फिर चाहे वह उनको तो पढ़ाई-लिखाई हो या कोई अन्य काम ही क्यों न हो.

हर माता-पिता को यह बात समझने की ज़रूरत है कि जिस तरह हमारे हाथों की उँगलियाँ बराबर नहीं होती है, ठीक उसी तरह बच्चे भी बराबर नहीं हो सकते , दुनिया का हर बच्चा अलग है और उसमें अपनी अलग ख़ास बात है.

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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