अपने बच्चों को बनाएं सबका पसंदीदा, इन आदतों को जरूर सिखाएं

हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा न सिर्फ़ जीवन में सफल हो, बल्कि ऐसा व्यक्तित्व भी बनाए जिससे हर कोई उसे पसंद करे. यह तभी संभव है जब बचपन से ही बच्चों को सही आदतें सिखाई जाएं. ये छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण आदतें बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में बड़ी भूमिका निभाती हैं.

Bhawna Choubey
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माता-पिता अपने बच्चों की अच्छी परवरिश (Parenting Tips) करने के लिए क्या कुछ नहीं करते, बच्चों की देखभाल करना, उन्हें अच्छी ज़िंदगी देना, अच्छे स्कूल में पढ़ाना, और सारी सुख-सुविधाएँ देना. सभी माता-पिता की यही ख़्वाहिश होती है कि उनका बच्चा जीवन में ख़ूब आगे बढ़े और सफल व्यक्ति बने, और सभी उसे ख़ूब प्यार दे. उनकी हर ज़रूरतों को पूरा करने के लिए माता-पिता अपनी पूरी कोशिश करते हैं.

उन्हें बचपन से ही सारी चीज़ें दिलाते हैं जो कि उनकी ज़रूरत की हो, लेकिन बच्चों की ज़रूरतों को पूरा करना ही काफ़ी नहीं होता है, बच्चों को एक अच्छा इंसान बनाने के लिए उन्हें कुछ आदतों को सिखाना भी ज़रूरी होता है, आज हम इस आर्टिकल में उन्हीं आदतों के बारे में ज़िक्र करेंगे. इन आदतों को आपको एक छोटी उम्र में ही अपने बच्चों को सिखाना चाहिए, चलिए फिर जान लेते हैं कि वे आदतें कौन-कौन सी है.

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 सुनने की आदत भी सिखाएं (Parenting Tips)

बच्चों को बचपन से ही अच्छे से बात करना ज़रूर सिखाना चाहिए, अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा सभी लोगों से अच्छे से बात करें और अपनी बातों को सही ढंग से रख सके, इसके लिए सबसे ज़रूरी है कि आपको अपने बच्चों को सिर्फ़ बोलना नहीं सिखाना चाहिए, बल्कि सुनना भी सिखाना चाहिए. बातों को सुनने की आदत, आगे चलकर बच्चों को एक बेहतरीन इंसान बनाने में मदद करती है.

बच्चों में सम्मान और विनम्रता की अहमियत

बच्चों को बचपन से ही अपने से बड़ों और छोटों का सम्मान करना सिखाना चाहिए, अगर ये आदत बच्चों को बचपन से ही सिखायी जाती है, तो बच्चे अपने आप अनुशासन और विनम्रता सीख जाते हैं, जिन भी बच्चों में यह आदत होती है उनकी सभी तारीफ़ करते हैं, इस आदत वाले बच्चों को बड़े होकर ज़्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है, क्योंकि इनकी बोली, विनम्रता से ही आधे से ज़्यादा काम बन जाते हैं.

ईमानदारी की आदत बचपन से डालें

बच्चों को बचपन से ही ईमानदारी का पाठ पढ़ाना माता पिता की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी होती है. अक्सर देखा जाता है कि छोटे बच्चे स्कूल से अपने दोस्तों की पेंसिल, इरेज़र या फिर ये शार्पनर जैसी छोटी मोटी चीज़ें घर ले आते हैं, और वे इन चीज़ों को वापस करना ज़रूरी नहीं समझते हैं. अगर आपका बच्चा भी ऐसा करता है तो आप उसे सिखाएं की आपने जिस भी दोस्त या इंसान की चीज़ें ली है, उसे आप तुरंत लौटा देंगे. साथ ही साथ हमेशा सच बोलने की आदत भी बच्चों में डालें.

 


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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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