बच्चों से ये 4 बातें कभी न करें शेयर, बचपन में पड़ सकता है गहरा मानसिक असर

बचपन में बच्चों का दिमाग बहुत संवेदनशील होता है, जो आसपास की हर बात को गहराई से ग्रहण करता है. माता-पिता की कुछ आदतें या बातें अनजाने में उनके मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।

Bhawna Choubey
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सभी माता-पिता अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं, सभी को अपने बच्चे बहुत प्यारे लगते हैं। हर माता-पिता की यही ख़्वाहिश होती है कि वे अपने बच्चों की अच्छी से अच्छी परवरिश करें, ताकि उनका बच्चा जीवन में हमेशा आगे बढ़े उसे कभी भी किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़े। यही कारण है कि माता-पिता बच्चों को बचपन से ही हर प्रकार की सुख सुविधाएँ प्रदान करते हैं, लेकिन इस बात में कोई श़क नहीं है कि बच्चों की परवरिश करना कोई आसान बात नहीं होती है।

माता-पिता को यह बात समझने की आवश्यकता है, की अच्छी परवरिश सिर्फ़ बच्चों की ज़रूरत पूरी करने से नहीं होती है, बल्कि अच्छी परवरिश का मतलब होता है कि बच्चों को अच्छे-अच्छे संस्कार सिखाना, बच्चों को सही ग़लत में फ़र्क बताना, साथ ही साथ उन्हें लोगों का मान सम्मान करना सिखाना। कई बार जाने-अनजाने में माता-पिता बच्चों के सामने कुछ ऐसे बोल बोल देते हैं, जिससे बच्चों की ज़िंदगी पर नकारात्मक असर डलता है। आज हम इस आर्टिकल में उन्हीं आदतों के बारे में बताएंगे.

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बच्चों से ये 4 बातें कभी न करें शेयर (Parenting Tips)

आर्थिक स्थिति के बारे में बातें

कभी भी बच्चों के सामने बार-बार घर की आर्थिक स्थिति के बारे में बातें नहीं करनी चाहिए, जब माता-पिता बार बार बच्चों के सामने घर की आर्थिक स्थिति के बारे में बातें करते हैं तो बच्चों के मन में नकारात्मक असर पड़ता है। बच्चों को कम उम्र में ही डर लगने लगता है, उन्हें ऐसा एहसास होता है कि पैसे कमाना बहुत ज़रूरी होता है और वे कम उम्र में ही पैसे कमाने के लिए उत्सुक हो जाते हैं, कई बार पैसे कमाने के चक्कर में वे ग़लत चीज़ों में भी जहाँ सकते हैं। इन सब बातों से बच्चों की मेंटल हेल्थ पर असर पड़ सकता है, आपकी आर्थिक स्थिति कैसी भी क्यों ना हो, अपने बच्चों के सामने कभी भी इस मुद्दे पर बात न करें।

पुरानी गलतियों के बारें में बातें

कभी भी अपनी पुरानी गलतियों, अपने पुराने गिल्ट, यह ऐसी कोई भी बातें अपने बच्चों के साथ शेयर न करें जिससे कि उनके मन में डर बैठ जाए। अगर आपको ऐसी बातें अपने बच्चों के साथ शेयर करेंगे, तो उन्हें लगेगा कि जो चीज़ें उनके माता-पिता के साथ हुई है वे उनके साथ भी कभी न कभी ज़रूर होंगी, इससे बच्चा बच्चा डर सकता है।

परिवार वालों की बुराई

कभी भी अपने बच्चों के सामने अपने परिवार वालों की बुराई नहीं करनी चाहिए। बच्चा परिवार के सभी लोगों से किसी न किसी रूप से जुड़ा होता है, जवाब अपने ही परिवार वालों की बुराई अपने बच्चों से करते हैं तो बच्चों के मन में उस व्यक्ति के लिए ईर्ष्या पैदा हो सकती है। अगर आप अपने बच्चों के सामने परिवार या रिश्तेदारों की बुराई करेंगे तो बच्चा भी ऐसा ही करेगा, इसलिए सोच-समझकर अपने बच्चों के सामने बातें करनी चाहिए।

आपस के लड़ाई-झगड़े

कभी भी माता-पिता को अपनी आपस के लड़ाई झगड़े या फिर रिश्ते के बारे में बच्चों के सामने बातें नहीं करनी चाहिए। एक दूसरे की बुराई करना, और घर में चिल्ला चोट करना बच्चों के दिमाग़ पर नकारात्मक असर डाल सकता है, इस तरह के माहौल में बच्चा घर में रहना पसंद नहीं करेगा, उसे हर वक़्त बाहर की दुनिया अच्छी लगेगी। इसलिए अगर आपको भी चीज़ें या बातें अपने बच्चों के सामने करते हैं, तो अगर थोड़ा ध्यान देने की आवश्यकता है।

 


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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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