Parenting Tips: ओवर पेरेंटिंग हो सकती है बच्चों के लिए खतरनाक, जानें कैसे करें इससे बचाव

Parenting Tips: ओवर पेरेंटिंग एक ऐसी स्थिति है जिसमें माता-पिता अपने बच्चों पर अत्यधिक नियंत्रण रखते हैं और उन्हें स्वतंत्र रूप से सोचने और कार्य करने का अवसर नहीं देते हैं। यह बच्चों के विकास और स्वतंत्रता को बाधित कर सकता है और कई नकारात्मक परिणामों का कारण बन सकता है।

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Parenting Tips: माता पिता का फर्ज निभाना दुनिया की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है। हर माता पिता की यहीं ख्वाइश होती है की उनका बच्चा अच्छे संस्कार सीखें।इसके चलते माता पिता अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी परवरिश करते है, उनका ख्याल रखते है। जब बच्चे छोटे होते हैं तब तक उनका हद से ज्यादा ख्याल रखना सही होता हैं, लेकिन जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तब उन्हें ये बात पसंद नहीं आती की माता पिता उन्हें हर बात की लिए रोके या टोके। लेकिन माता पिता को बच्चों की चिंता सताने लगती है जिस वजह से वे ओवर पेरेंटिंग करने लगते है। ओवरपेरेंटिंग बच्चों के लिए अच्छी नहीं होती हैं, आज हम आपको इस लेख के द्वारा बताएंगे की कैसे ओवरपेरेंटिंग बच्चों के लिए हानिकारक होती हैं, तो चलिए जानते हैं।

ओवर पैरेंटिंग के क्या-क्या नुकसान है

आत्मविश्वास की कमी: जब बच्चों को अपने निर्णय लेने और गलतियों से सीखने का अवसर नहीं दिया जाता है, तो उनमें आत्मविश्वास की कमी हो सकती है। वे लगातार अपने माता-पिता की स्वीकृति और अनुमोदन की तलाश में रह सकते हैं, और उन्हें अपने आप में विश्वास नहीं होता है।

अनिर्णय: जब माता-पिता हर निर्णय लेते हैं, तो बच्चों में निर्णय लेने की क्षमता का विकास नहीं होता है। वे दूसरों पर निर्भर रह सकते हैं कि वे उनके लिए क्या करें और उन्हें क्या पसंद है।

अवसाद और चिंता: ओवर पैरेंटिंग बच्चों में अवसाद और चिंता का कारण बन सकती है, क्योंकि वे लगातार अपने माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का दबाव महसूस करते हैं। वे चिंतित और तनावग्रस्त हो सकते हैं, और उन्हें डर हो सकता है कि वे अपने माता-पिता को निराश कर देंगे।

सामाजिक कौशल की कमी: जब बच्चों को अपने साथियों के साथ बातचीत करने और सामाजिक कौशल विकसित करने का अवसर नहीं दिया जाता है, तो उन्हें सामाजिक स्थितियों में चिंता और असुरक्षा महसूस हो सकती है। वे दूसरों से बात करने में डर सकते हैं, और उन्हें दोस्त बनाने में कठिनाई हो सकती है।

ओवर पैरेंटिंग से बचाव के क्या क्या उपाय है

अपने बच्चों को स्वतंत्रता दें: अपने बच्चों को अपनी पसंद बनाने और अपनी गलतियों से सीखने दें। उन्हें अपने फैसले लेने और अपनी गलतियों से सीखने का अवसर दें।

अपने बच्चों पर भरोसा करें: अपने बच्चों पर भरोसा करें कि वे अच्छे निर्णय लेंगे। उन्हें यह दिखाएं कि आप उन पर विश्वास करते हैं और उन्हें जिम्मेदारी दें।

अपने बच्चों से बात करें: अपने बच्चों से उनके विचारों और भावनाओं के बारे में बात करें। उन्हें यह बताएं कि आप उनकी बात सुनने के लिए तैयार हैं और आप उनकी परवाह करते हैं।

अपने बच्चों को सुनें: अपने बच्चों को ध्यान से सुनें और उनकी बातों को समझने की कोशिश करें। उन्हें यह दिखाएं कि आप उनकी बातों को महत्व देते हैं और आप उनके लिए मौजूद हैं।

अपने बच्चों का समर्थन करें: अपने बच्चों को उनके प्रयासों में प्रोत्साहित करें और उनका समर्थन करें। उन्हें यह बताएं कि आप उन पर विश्वास करते हैं और आप उनके सफल होने में मदद करना चाहते हैं।

अपने बच्चों को प्यार करें: अपने बच्चों को बिना शर्त प्यार करें और उन्हें स्वीकार करें। उन्हें यह दिखाएं कि आप उनसे प्यार करते हैं, चाहे वे कुछ भी करें।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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