बच्चों को ईमानदार बनाना है? तो माता-पिता को इन गलतियों से बचना है बेहद जरूरी

बच्चों को ईमानदार बनाना हर माता-पिता की चाहत होती है, लेकिन कई बार जाने-अनजाने में हम ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो बच्चों की ईमानदारी पर असर डालती हैं.

Bhawna Choubey
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Parenting Tips: हर माता-पिता की यही ख़्वाहिश होती है कि उनके बच्चे जीवन में ईमानदार और एक सच्चे इंसान बनें. लेकिन बच्चों में ईमानदारी विकसित करना सिर्फ़ बातों से नहीं होती है बल्कि उसके लिए माता-पिता को व्यवहार का भी ध्यान रखना होगा.

अगर आप चाहते हैं, कि आपके बच्चे ईमानदार बनें तो आपको भी अपनी ज़िंदगी में ईमानदारी को अपनाना होगा और उनके सामने अच्छा उदाहरण पेश करना होगा. कई बार माता-पिता के द्वारा की गई छोटी-छोटी गलतियों की वजह से बच्चे ईमानदारी का सही मतलब नहीं समझ पाते हैं. चलिए इस आर्टिकल के ज़रिए समझते है कि आप अपने बच्चों को ईमानदार कैसे बना सकते हैं.

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आप खुद भी ईमानदार बनें

अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे ज़िंदगी भर ईमानदारी को अपनाएं तो सबसे पहले आपको ख़ुद को उनके लिए एक आदर्श बनना होगा. बच्चे जो कुछ भी सीखते हैं वह अपने माता-पिता से ही सीखते हैं. जैसा आप करेंगे वैसे ही बच्चे भी करेंगे. इसलिए अगर आप के अंदर झूठ बोलने की आदत है, तो उसे ख़त्म करें और सच बोलने की आदत अपनाएं. इस तरह आप अपने बच्चों के सामने ख़ुद का उदाहरण पेश करते हैं और बच्चे भी आपको देखकर सीखते हैं.

बच्चों की बातों का सम्मान करें

कई बार ऐसा होता है, कि जब ईमानदारी से बच्चे अपने मम्मी-पापा के सामने कुछ बातें रखते हैं, तो माता-पिता उन्हें डाटने लगते हैं और चिल्लाने लगते हैं. जिस वजह से बच्चे झूठ बोलने की आदत शुरू करते हैं. बात चाहे कैसी भी क्यों न हों, अगर बच्चे ने ईमानदारी से आपको कुछ बताया है, तो उसकी बात का सम्मान करना चाहिए और बच्चों को प्यार से समझाना चाहिए.

वादों को तोड़ना

बातों ही बातों में अक्सर माता-पिता अपने बच्चों से कई वादे कर देते हैं, कि हम आपको ये दिलाएंगे, हम आपको वह दिलाएंगे या हम आपकोआपको यहाँ घूमने ले चलेंगे. लेकिन जब ये वादे पूरे नहीं हो पाते हैं तो बच्चों का दिल टूट जाता है और उन्हें माता-पिता के वादे झूठे लगने लगते हैं, और इस बात का असर बच्चों पर नकारात्मक पड़ने लगता है.

बच्चों को जज करना

अगर आप अपने बच्चों की सोच या फिर किसी भी चीज़ को लेकर बार-बार जज करते हैं तो यह उनकी भावनाओं को ठेस पहुँचा सकता है. जब आप उनकी बातों को समझने की बजाय आलोचना करते हैं, तो वे ख़ुद को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं. इसका परिणाम यह होता है कि बच्चे अपने मन की बातें आपसे छुपाने और आपके प्रति उनकी ईमानदारी घटने लगती है.


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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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