Parenting Tips: माता-पिता के झगड़ों का बच्चों पर इस तरह पड़ता है बुरा असर, जानें कैसे बने अच्छे पैरेंट्स

Parenting Tips: माता-पिता के बीच तनावपूर्ण या टूटे हुए रिश्ते का बच्चों पर गहरा और स्थायी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह उनके भावनात्मक, सामाजिक और शैक्षिक विकास को बाधित कर सकता है। यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे माता-पिता के बिगड़ते रिश्ते बच्चों को प्रभावित कर सकते हैं।

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Parenting Tips: बच्चे अपने माता-पिता के साथ सुरक्षित महसूस करते हैं। यह सुरक्षा उन्हें भावनात्मक रूप से विकसित होने और जीवन में सफल होने के लिए आवश्यक आत्मविश्वास और लचीलापन प्रदान करती है। जब घर में शांति और प्रेम का माहौल होता है, तो बच्चे भविष्य को लेकर निश्चितता महसूस करते हैं। उन्हें पता होता है कि उनके माता-पिता उनका समर्थन करेंगे, उनकी भावनाओं को समझेंगे और उनकी जरूरतों का ध्यान रखेंगे। यह सुरक्षित वातावरण बच्चों को धीरे-धीरे विश्वास, प्यार, समझ और सम्मान जैसे महत्वपूर्ण भावनाओं को विकसित करने में मदद करता है। लेकिन, जिन घरों में लगातार लड़ाई-झगड़ा, तनाव या हिंसा का माहौल होता है, वहां बच्चों की सुरक्षा और भावनात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

ऐसे माहौल में रहने वाले बच्चे असुरक्षित महसूस करते हैं। उन्हें समझ नहीं आता कि अगले पल क्या होगा, उनके माता-पिता कैसे प्रतिक्रिया देंगे, और क्या उनका ख्याल रखा जाएगा। यह अनिश्चितता और डर उन्हें तनावग्रस्त, चिंतित और उदास बना सकता है। वे प्यार, देखभाल और समर्थन से वंचित महसूस कर सकते हैं, जिसके कारण उनका आत्मविश्वास कम हो सकता है और वे भावनात्मक रूप से कमजोर हो सकते हैं। इसके अलावा, ऐसे माहौल में रहने वाले बच्चे अक्सर आक्रामक व्यवहार, सामाजिक अलगाव और शैक्षणिक समस्याओं का अनुभव करते हैं। यह स्पष्ट है कि बच्चों के लिए एक सुरक्षित और प्रेमपूर्ण वातावरण प्रदान करना माता-पिता की ज़िम्मेदारी है। यदि आप एक माता-पिता हैं, तो अपने बच्चों के लिए एक ऐसा माहौल बनाने का प्रयास करें जहां वे सुरक्षित, प्यार और सम्मानित महसूस करें।

रिश्तों पर नहीं रहता विश्वास

बच्चे अपने जीवन के शुरुआती वर्षों में सबसे ज्यादा सीखते हैं, और वे अपने आसपास के वातावरण से सबसे ज्यादा सीखते हैं। घर, परिवार, स्कूल और समाज – ये सभी जगहें बच्चों को रिश्तों के बारे में सिखाती हैं। हम अक्सर सुनते हैं कि “अच्छी कंपनी में रहो” – यह कहावत इसी सच्चाई पर आधारित है कि बच्चे उन लोगों से सीखते हैं जिनके साथ वे समय बिताते हैं। यदि घर का माहौल तनावपूर्ण, हिंसक या अशांत है, तो बच्चा यह सोचने लगता है कि शायद रिश्तों में टकराव और नकारात्मकता सामान्य है। यह गलत धारणा उनके भविष्य के रिश्तों को कमजोर बना सकती है, क्योंकि वे स्वस्थ और खुशहाल रिश्तों की उम्मीद करना बंद कर देते हैं। जब रिश्तों में विश्वास टूटता है, तो अपने भी पराए लगने लगते हैं। घर में लगातार होने वाली लड़ाई-झगड़े, बहस और हिंसा बच्चों के मन में डर, असुरक्षा और अकेलेपन की भावना पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा, जब बच्चे देखते हैं कि उनके माता-पिता एक दूसरे का सम्मान नहीं करते हैं, तो वे भी अपने माता-पिता के प्रति सम्मान खो सकते हैं। यह सब बच्चे के भावनात्मक और सामाजिक विकास को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने बच्चों को स्वस्थ और सकारात्मक रिश्तों के बारे में सिखाएं।

आत्मविश्वास की होने लगती है कमी

जिन घरों में लगातार तनाव, लड़ाई-झगड़ा और नकारात्मकता का माहौल होता है, वहाँ रहने वाले बच्चे अक्सर कई नकारात्मक परिणामों का सामना करते हैं।इनमें से एक सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव है बच्चों के आत्मसम्मान और आत्मविश्वास पर चोट। खुद को और अपने कार्यों पर लगातार सवाल उठाते हैं। वे लगातार सोचते रहते हैं कि क्या उन्होंने कुछ गलत किया है, क्या वे अपने माता-पिता की लड़ाई का कारण हैं, और क्या वे पर्याप्त अच्छे हैं। अक्सर अपने माता-पिता की समस्याओं के लिए खुद को दोषी ठहराते हैं। वे सोचते हैं कि अगर वे बेहतर बच्चे होते, तो उनके माता-पिता खुश होते और घर में शांति रहती। कम आत्मसम्मान और आत्मविश्वास विकसित करते हैं। वे खुद को दूसरों से कमतर समझते हैं, और वे अपनी क्षमताओं पर विश्वास नहीं करते हैं। अनिश्चित और असुरक्षित महसूस करते हैं। वे नहीं जानते कि उनके साथ क्या होगा, उनके माता-पिता कब गुस्सा हो जाएंगे, और कब घर में शांति होगी।

ऐसे बने अच्छे पेरेंट्स

अच्छी पैरेंटिंग केवल बच्चों को नियम सिखाने और उनकी देखभाल करने से कहीं अधिक है। यह सबसे महत्वपूर्ण रूप से, बच्चों के लिए एक सकारात्मक रोल मॉडल बनना है। जब माता-पिता अपने बच्चों के सामने रिश्तों में आने वाले उतार-चढ़ाव को प्यार, समझदारी और सबसे ज़रूरी, पारस्परिक सम्मान के साथ सुलझाते हैं, तो इसका बच्चों पर गहरा और स्थायी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। एक-दूसरे से खुलकर बात करें, अपनी भावनाओं को व्यक्त करें, और एक-दूसरे को सुनें। बच्चों को दिखाएं कि आप कैसे असहमतियों को शांतिपूर्वक हल करते हैं और समझौता करते हैं। जब मतभेद या झगड़े होते हैं, तो एक-दूसरे का सम्मान करें, भले ही आप सहमत न हों। बच्चों को दिखाएं कि आप कैसे शांत रहते हैं, आरोप नहीं लगाते हैं, और एक-दूसरे की बात सुनते हैं।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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