बच्चों को 12 साल की उम्र से पहले सिखाएं ये 3 आदतें, सफलता के रास्ते पर चलेंगे

बच्चों की सफलता का रास्ता उम्र के साथ तय होता है, और 12 साल की उम्र से पहले उन्हें कुछ महत्वपूर्ण बातें सिखाना बहुत जरूरी है। इस उम्र में उनका दिमाग तेजी से विकसित होता है, और जो आदतें या गुण वे अब अपनाएंगे, वही आगे जाकर उनके जीवन में सफलता की नींव बनेंगे।

Bhawna Choubey
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हर माता-पिता की यही ख़्वाहिश होती है कि उनका बच्चा अच्छे से पढ़ाई-लिखाई करें और जीवन में ख़ूब आगे बढ़ें। अपनी इसी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए माता-पिता बच्चों की अच्छी से अच्छी परवरिश करने की कोशिश करते हैं, उन्हें हर प्रकार की सुख सुविधाएँ दिलवाते हैं जिससे की बच्चों को आगे चलकर किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े।

लेकिन एक बात ध्यान में रखना ज़रूरी है कि अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे जीवन में आगे चलकर तरक़्क़ी करे और सफल व्यक्ति बने, तो इसके नींव बचपन से ही रखनी होगी। बच्चों को ज़िम्मेदार और आत्मनिर्भर बनाना उनकी सफलता की पहली सीढ़ी होती है। ख़ासकर अगर आपका बच्चा 10-12 साल की उम्र में है तो उन्हें क्या-क्या सिखाना चाहिए आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे।

बच्चों को 12 साल की उम्र से पहले सिखाएं ये आदतें (Parenting Tips)

कमरे की साफ सफाई करने को कहे

10-12 साल के बच्चों को सिखाएं कि वे हमेशा अपना कमरा साफ़ रखें और खुदसे अपने कमरे की साफ़-सफ़ाई करें। अगर इस उम्र में बच्चा ख़ुद के काम नहीं करेगा तो वह आलसी बन जाएगा और बड़े होते होते भी वह ख़ुद का काम करना पसंद नहीं करेगा। इसलिए बच्चों को सिखाएं कि वे उनका कमरा साफ़ रखें, चीज़ों को व्यवस्थित उनकी जगह पर रखें, ख़ुद का बैठे तैयार करें, उठने के बाद ब्लैंकेट की घड़ी करें। इन छोटी छोटी आदतों को सीखकर बच्चा ख़ुद का काम करना सीख जाएगा।

खुद का काम खुद से करने दें

अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आत्मनिर्भर बनें, आत्मविश्वास की कमी न हो, तो ऐसे में 10-12 साल के बच्चों को उनका ख़ुद का काम ख़ुद से करने दें। बच्चों को होमवर्क ख़ुद से करने दें, उन्हें अपना प्रोजेक्ट बनाने दें, कुछ कुछ फ़ैसले उन्हें खुदसे लेने दें। इन सब कामों की मदद से बच्चा जैसे जैसे बड़ा होगा वे से वैसे वह समझदार बन जाएगा और आत्मनिर्भर भी बन जाएगा।

कपड़ों की देखभाल करना सिखाएं

अगर आपका बच्चा 10-12 साल का हो चुका है, तो उसे अपने कपड़ों की देखभाल करना सिखाए, बच्चों को सिखाएं कि वे उनके छोटे-छोटे कपड़ों को धो सकते हैं, जैसे रुमाल और मोजे आदी। जब उन्हें लगेगा कि उन्हें ख़ुद के कपड़े धोना है तो वे ख़ुद अपने कपड़ों के प्रति ज़िम्मेदार बन जाएँगे और अपने कपड़ों की देखभाल करना भी सीख जाएंगे, उन्हें अपनी अलमारी ज़माने को कहें, इन आदतों से आपका बच्चा आत्मनिर्भर बनेगा साथ ही साथ उसमें आत्मविश्वास भी भरपूर होगा।

 


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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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