क्या होती है Pidgin भाषा, जानिए पिजिन इंग्लिश की उत्पत्ति, महत्व और विशेषताएं

पिजिन एक सरल संचार माध्यम है, जो विभिन्न भाषाओं के मिश्रण से विकसित होता है। इसका इस्तेमाल खासतौर पर तब होता है जब लोग एक-दूसरे की मूल भाषा नहीं समझ पाते है। इसमें सीमित शब्दावली और व्याकरण होता हैं, ताकि संवाद सरल और प्रभावी हो सके। पिजिन अंग्रेजी, पोर्तुगीज या डच जैसी भाषाओं के संदर्भ में ज्यादा उपयोग होती है।

Pidgin Language, The Simplified Communication Medium

Pidgin Language, The Simplified Communication Medium : क्या आप जानते हैं पिजिन (Pidgin) क्या है। आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। ‘पिजिन’ किसी भाषा बोलने का एक तरीका है जिसमें सरल शब्दों और रूपों का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति उस भाषा को अच्छी तरह से नहीं जानता है, या जब वो किसी ऐसे व्यक्ति से बात कर रहा हो जो उस भाषा को अच्छी तरह से नहीं बोल पाता है। आमतौर पर पिजिन का उपयोग अंग्रेजी, पुर्तगाली या डच भाषा के संदर्भ में किया जाता है।

पिजिन एक सरल भाषा का तरीका है जो अलग-अलग भाषाएँ बोलने वाले लोगों के बीच संवाद की सुविधा के लिए विकसित होती है। यह एक प्रकार की संपर्क भाषा है, जिसमें मूल भाषाओं से शब्द और व्याकरण तत्व लिए जाते हैं। लेकिन इसे सरल बनाया जाता है ताकि इसे सभी लोग आसानी से समझ सकें और इस्तेमाल कर सकें। सामान्य भाषा में कहें तो ऐसी भाषा में संवाद जिसमें बहुत व्याकरण नियम न हों और जिसका उद्देश्य सामने वाले को अपनी बात समझाना हो।

क्या है Pidgin भाषा

Pidgin भाषा एक सरल संचार माध्यम है, जो दो या अधिक भाषाओं के मिश्रण से बनती है। खासकर तब जब लोग एक-दूसरे की मूल भाषा नहीं समझ पाते और उन्हें आपस में संवाद करना हो। यह कोई मानक भाषा नहीं होती, बल्कि एक “लिंगुआ फ्रैंका” (Lingua franca) के रूप में उपयोग होती है, मतलब दो अलग अलग मातृभाषा बोलने वाले लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। पिजिन को सीमित शब्दावली और सरल व्याकरण के साथ संचार के लिए बनाया गया है। लेकिन अगर लंबे समय तक पिजिन का इस्तेमाल होता है और उसे नई पीढ़ियां अपनी पहली भाषा के रूप में अपना लेती हैं। तब यह एक क्रियोल भाषा (Creole) में परिवर्तित हो सकती है।

अंग्रेजी पिजिन की उत्पत्ति और उद्देश्य

अंग्रेजी पिजिन का विकास 17वीं और 18वीं शताब्दियों में व्यापारिक संबंधों के दौरान हुआ। इसकी उत्पत्ति मुख्य रूप से व्यापारिक स्थितियों और उपनिवेशवाद के दौरान हुई। जब ब्रिटिश व्यापारी और स्थानीय समुदायों के बीच संवाद स्थापित करने की जरूरत थी, तब विभिन्न क्षेत्रों में पिजिन अंग्रेजी विकसित हुई। उदाहरण के लिए, पश्चिम अफ्रीका में नाइजीरियाई पिजिन अंग्रेजी का व्यापार और सामाजिक संदर्भ में खासा उपयोग होता है। स्थिति ये है कि अब ये वहां के सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत का हिस्सा बन गई है। हवाई में, 19वीं शताब्दी के आखिर में गन्ने के खेतों में मजदूरों के बीच एक पिजिन विकसित हुआ, जो आज “हवाई पिजिन” के रूप में जाना जाता है।

पिजिन भाषा की विशेषताएं और महत्व

पिजिन भाषाएं अक्सर संरचनात्मक रूप से सरल होती हैं, जिनमें व्याकरण के नियम कम या शिथिल होते हैं। इसका उद्देश्य संवाद को ज्यादा से ज्यादा सरल बनाना है। इसकी शब्दावली भले ही सीमित हो, लेकिन यह संवाद के बुनियादी उद्देश्य को पूरा करती है। इसके शब्द अक्सर प्रमुख भाषा (जैसे अंग्रेजी) से लिए जाते हैं, लेकिन उच्चारण और व्याकरण स्थानीय भाषाओं से प्रभावित होते हैं।

पिजिन अंग्रेजी आज भी दुनिया के कई हिस्सों में उपयोग होती है, खासकर पश्चिम अफ्रीका और प्रशांत द्वीपों में। यह सिर्फ व्यापार ही नहीं, बल्कि रोजमर्रा की बातचीत, संगीत, साहित्य और लोकप्रिय संस्कृति में भी अपनी जगह बना चुकी है। हालांकि इसे औपचारिक भाषा के रूप में नहीं देखा जाता है लेकिन ये वहां की सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक संवाद का प्रतीक बन गई है।

(डिस्क्लेमर : ये लेख सामान्य जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते।)


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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