लंबी उम्र चाहिए तो दोस्ती कीजिए, अच्छे दोस्त आपकी अच्छी सेहत के लिए हैं जरूरी, जानिए दोस्ती से जुड़े कमाल के मनोवैज्ञानिक तथ्य

अब तक हम उम्र बढ़ाने के लिए जीवनशैली में परिवर्तन, अच्छी आदतों, एक्सरसाइज़, योग, अच्छा आहार जैसी चीज़ों पर ज़ोर देते आए हैं। लेकिन ये बात सुखद आश्चर्य में डालने वाले ही है कि दोस्त भी हमारी लंबी आयु के लिए ज़िम्मेदार हो सकते हैं। यहां तक कि साइंस कहता है कि जो लोग अच्छी दोस्ती निभाते हैं, उनका इम्यून सिस्टम मजबूत रहता है और उन्हें बीमारियां भी कम होती हैं। इसी के साथ दोस्त हमारे व्यक्तित्व को आकार भी देते हैं। हमारे पास जितने ज्यादा गहरे दोस्त होंगे, उतना ज्यादा संतुष्टि से भरा जीवन होगा। दोस्तों के साथ बिताया समय खुशहाल जीवन का बड़ा हिस्सा होता है। 

Psychological facts about friendship

Psychological facts about friendship : दोस्ती वो खूबसूरत रिश्ता है, जो बिना किसी शर्त के बनता है। ये ऐसा संबंध है जो स्नेह, विश्वास और आपसी समझ पर आधारित होता है। दोस्त हमारे जीवन में खुशी, संतोष और मानसिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मनोविज्ञान की दृष्टि से दोस्ती का सकारात्मक प्रभाव हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। दोस्ती न केवल हमें भावनात्मक समर्थन देती है, बल्कि हमारे व्यक्तिगत विकास को भी बढ़ाती है।

दोस्ती का मनोवैज्ञानिक आधार गहरे संबंधों, जुड़ाव और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। दोस्त वही होते हैं जो तुम्हारे साथ हंसी-खुशी, दर्द-सुख हर पल को अपनी मर्ज़ी से बांटते हैं। दोस्ती का मतलब सिर्फ साथ घूमना या मजे करना नहीं है, बल्कि ज़रूरत के समय साथ खड़ा रहना जब ज़रूरत हो..वो भी बिना कुछ कहे।

दोस्ती एक महत्वपूर्ण सामाजिक और मनोवैज्ञानिक संबंध है जो हमारे जीवन को अधिक सार्थक और खुशहाल बनाता है। मनोवैज्ञानिक रूप से, दोस्ती हमें तनाव से राहत देती है, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारती है और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देती है। आज हम दोस्ती से जुड़े हुए कुछ ऐसे मनोवैज्ञानिक तथ्य लेकर आए हैं, जो आपका इस रिश्ते में विश्वास और बढ़ा देंगे।

दोस्ती से जुड़े मनोवैज्ञानिक तथ्य

1. मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार : दोस्ती हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है। अच्छी दोस्ती तनाव, अवसाद और अकेलेपन को कम करती है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। इसके अलावा, मजबूत सामाजिक समर्थन रक्तचाप और प्रतिरक्षा तंत्र को भी सुधारता है

2. लंबी आयु की संभावना बढ़ाती है : दोस्ती और सामाजिक संबंधों में शामिल लोग औसतन अधिक जीते हैं। शोध क जिनके पास अच्छे दोस्त होते हैं, वे अकेलेपन और सामाजिक अलगाव से बचते हैं, जो मृत्यु दर को कम करता है।

3. तनाव को कम करने में सहायक : दोस्ती एक “बफर” की तरह काम करती है, जो तनावपूर्ण परिस्थितियों में भावनात्मक समर्थन प्रदान करती है। जब हम कठिन समय से गुजरते हैं, तो दोस्तों से मिली मदद तनाव के स्तर को कम करने में सहायक होती है।

4. दर्द सहने की क्षमता में वृद्धि : शोध से पता चलता है कि जिन लोगों के मजबूत सामाजिक संबंध होते हैं, उनके पास दर्द सहने की बेहतर क्षमता होती है। एक अध्ययन में यह पाया गया कि दोस्ती और सामाजिक समर्थन से मस्तिष्क में ऑक्सीटोसिन रिलीज़ होती है, जो दर्द कम करती है।

5. विकास के विभिन्न चरणों में आवश्यक : दोस्ती जीवन के सभी चरणों में महत्वपूर्ण होती है, लेकिन बचपन और किशोरावस्था में इसका विशेष रूप से महत्व होता है। इस समय दोस्ती आत्म-समझ, सामाजिक कौशल और भावनात्मक विकास को बढ़ाती है।

6. विश्वास और पारदर्शिता का संबंध : दोस्ती में विश्वास और पारदर्शिता का महत्वपूर्ण स्थान होता है। मनोवैज्ञानिक अध्ययन यह दर्शाते हैं कि जब दोस्त एक-दूसरे के साथ ईमानदारी और खुलापन साझा करते हैं, तो उनका संबंध मजबूत होता है।

7. मनोवैज्ञानिक सुरक्षा प्रदान करती है : दोस्ती हमारे लिए एक मनोवैज्ञानिक सुरक्षा जाल की तरह काम करती है। दोस्त वह व्यक्ति होता है जिससे हम बिना किसी डर के अपनी भावनाएं और समस्याएं साझा कर सकते हैं। यह हमें मानसिक रूप से सुरक्षित महसूस करने में मदद करता है।

8. अधिक रचनात्मकता के लिए प्रेरित करती है : दोस्ती का एक और लाभ यह है कि यह रचनात्मकता को बढ़ावा देती है। जब लोग अपने करीबी दोस्तों के साथ होते हैं, तो वे ज्यादा खुले विचारों वाले होते हैं और नई चीज़ें आजमाने के लिए तैयार रहते हैं।

9. सहानुभूति और समझ में वृद्धि : दोस्ती हमें दूसरों के प्रति अधिक सहानुभूतिपूर्ण बनाती है। जब हम दोस्तों के साथ होते हैं, तो हम उनकी भावनाओं और समस्याओं को बेहतर तरीके से समझने और उनसे सहानुभूति रखने की क्षमता विकसित करते हैं।

10. स्वस्थ आदतों को बढ़ावा : अच्छे दोस्त अक्सर एक-दूसरे को स्वस्थ आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं, जैसे कि व्यायाम करना, धूम्रपान छोड़ना, या स्वस्थ भोजन करना।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)

 


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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