Shri Krishna Temple : भारत में कई ऐसे चमत्कारी और रहस्यमयी मंदिर हैं जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इन्हीं में से आज हम आपको रहस्यों से भरा श्री कृष्ण के एक मंदिर के बारे में बताएंगे, को की केरल में स्थित है। दरअसल, हम थिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर केरल के बारे में बात कर रहे हैं जोकि कोट्टायम जिले में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यहां हर रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। साथ ही विधिपूर्वक पूजा-अर्चना कर जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के लिए दुआ मांगते हैं।
1500 साल पुराना है इतिहास
मान्यताओं के अनुसार, यह मंदिर 1500 साल से भी अधिक पुराना है। यहाँ भगवान श्रीकृष्ण को बालगोपाल के रूप में पूजा जाता है। इसकी प्रतिष्ठा दूर-दूर तक फैली हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह वही प्रतिमा है जिसकी पूजा पांडव अपने वनवास के दौरान करते थे। कहा जाता है कि जब पांडवों का वनवास समाप्त हुआ, तो उन्होंने इस दिव्य प्रतिमा को थिरुवरप्पु के मछुआरों के आग्रह पर वहीं छोड़ दिया। थिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर की कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब मछुआरे भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा की सेवा और पूजा-पाठ के नियमों का पालन नहीं कर पा रहे थे। इस कारण से उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। जब मछुआरों ने इन समस्याओं का समाधान निकालने के लिए एक ज्योतिषी की मदद ली, तो ज्योतिष ने उन्हें प्रतिमा को विसर्जित करने की सलाह दी। ज्योतिषी के निर्देशानुसार, मछुआरों ने भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को विसर्जित कर दिया।
इस घटना के बाद प्रतिमा अपने आप तैरती हुई वापस उसी स्थान पर आ गई, जहां उसे विसर्जित किया गया था। इस रहस्यमयी घटना को मछुआरों ने भगवान की इच्छा और दिव्य शक्ति का संकेत माना और फिर से प्रतिमा को स्थापित करके उसकी पूजा शुरू की। जिसके बाद थिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर और भी अधिक प्रसिद्ध हो गया।
दूसरी पौराणिक कथा
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, केरल के एक ऋषि विल्वमंगलम स्वामीयार को यात्रा के दौरान यह दिव्य प्रतिमा नदी में मिली। स्वामीयार ने प्रतिमा को अपनी नाव में रख लिया और यात्रा जारी रखी। यात्रा के दौरान वे विश्राम के लिए एक वृक्ष के नीचे रुके और प्रतिमा को वहीं रख दिया।
जब स्वामीयार ने दोबारा यात्रा शुरू करने के लिए प्रतिमा को उठाने की कोशिश की, तो वह प्रतिमा वहीं चिपक गई और उन्होंने इसे उठाने का कई बार प्रयास किया, लेकिन प्रतिमा टस से मस नहीं हुई। यह देखकर उन्होंने इसे भगवान की इच्छा मानकर उसी स्थान पर प्रतिमा को स्थापित कर दिया। इस घटना के बाद उस स्थान पर थिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर का निर्माण हुआ, जो आज भी भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र है। केवल इतना ही नहीं, भक्तों का विश्वास और श्रद्धा इस मंदिर के प्रति और बढ़ गई। आज भी इस मंदिर में प्रतिदिन विशेष पूजा और आराधना की जाती है।
10 बार लगाया जाता है भोग
थिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर की प्रतिमा को लेकर कई अद्वितीय मान्यताएँ और रहस्य प्रचलित हैं। इनमें से एक प्रमुख मान्यता यह है कि जब कृष्ण ने कंस का वध किया था, तो उन्हें बहुत भूख लगी थी। यही कारण है कि इस मंदिर में प्रतिदिन भगवान को 10 बार भोग अर्पित किया जाता है। इस अनूठी मान्यता के अनुसार, यदि भोग अर्पित करने में जरा सी भी देरी होती है, तो प्रतिमा का वजन थोड़ा सा कम हो जाता है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा भूख बर्दाश्त नहीं कर पाती है। माना जाता है कि इस प्रतिमा का वजन दिन-प्रतिदिन घट रहा है। इसके पीछे का रहस्य आज तक कोई समझ नहीं पाया है।
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