Stammering Remedies: क्या आपका बच्चा हकलाता है, घबराएं नहीं समय रहते इन उपायों से पाएं समाधान

Stammering Remedies: हकलाना, जिसे इंग्लिश में stammering भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति बोलते समय अटक जाता है या शब्दों को दोहराता है। यह बच्चों में आम है, और यह अनुमान लगाया गया है कि 5% बच्चे अपने जीवन में किसी न किसी बिंदु पर हकलाते हैं। अधिकांश बच्चे बड़े होने पर इससे बाहर निकल जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों में यह वयस्कता तक जारी रहता है।

stammering

Stammering Remedies: जब बच्चे छोटे होते हैं तो वह तोतले बोलते हैं, रुक-रुक कर बोलते हैं लेकिन उम्र बढ़ने के बाद भी अगर बच्चों में यह समस्या देखने को मिलती है तो फिर इसे हकलाहट कहा जाता है। कई बार लोग हकलाहट को समझ ही नहीं पाते हैं। बचपन में यह समस्या आम होती है लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे यह समस्या बच्चों के लिए अच्छी नहीं होती है। ऐसे में आगे चलकर बच्चों को बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है और उसके आसपास के लोग उसका मजाक भी बना सकते हैं। अगर आपका बच्चा भी हकलाता है या शब्दों को रुक-रुक कर या खींचकर बोलता है तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत ही मददगार साबित हो सकता है। आज हम आपको इस लेख के द्वारा हकलाने के पीछे के कारण लक्षण और इसे कैसे सुधारा जा सकता है इसके बारे में विस्तार से बताएंगे, तो चलिए जानते हैं।

हकलाने के क्या-क्या कारण

हकलाने के कारणों को पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन यह माना जाता है कि यह आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों का संयोजन है। कुछ बच्चों में हकलाने की संभावना अधिक होती है यदि उनके परिवार में कोई अन्य व्यक्ति हकलाता है। अन्य कारक जो हकलाने में योगदान कर सकते हैं उनमें तनाव, थकान और उत्तेजना शामिल हैं। 2 साल से 6 साल की उम्र के 75% बच्चों में तुतलाने या हकलाहट की समस्या देखने को मिलती है। इस उम्र के बाद बच्चे साफ-साफ बोलने लगते हैं। अगर 6 साल के बाद भी बच्चा तुतलाकर बोलता है या हकलाता है तो आगे चलकर यह समस्या गंभीर बन सकती है।

हकलाने के क्या-क्या लक्षण

हकलाने के लक्षण अलग-अलग बच्चों में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

1. शब्दों को दोहराना
2. शब्दों को खींचना
3. वाक्यों को शुरू करने में कठिनाई
4. बोलते समय अटकना
5. बोलने से बचाव
6. हकलाने का उपचार

इस समस्या से निजात पाने के लिए क्या करें

स्पीच थैरेपिस्ट, यह हकलाने के इलाज का सबसे आम प्रकार है। स्पीच थैरेपिस्ट बच्चों को धीरे-धीरे और साफ बोलने की तकनीक सिखा सकते हैं। 3 से 5 साल तक की उम्र के बच्चे तुतलाकर और हकलाकर बोल सकते हैं। लेकिन अगर इसके बाद भी बच्चा स्पष्ट नहीं बोल पाता है तो ऐसे में आपको स्पीच थैरेपिस्ट की मदद जरूर लेनी चाहिए। हर बच्चा अलग होता है इसलिए हर बच्चे की हकलाहट के पीछे का कारण भी अलग हो सकता है। स्पीच थैरेपिस्ट पहले आपके बच्चे के हकलाने के पीछे के स्पष्ट कारण बताएंगे, फिर उस हिसाब से समाधान बताएंगे। आपको बता दें, स्पीच थैरेपिस्ट बच्चों को किसी भी प्रकार की कोई दवाई, गोली नहीं देंगे बल्कि बच्चों को अक्षरों और शब्दों के उच्चारण से लेकर व्यावहारिक कमियों का निदान कराएंगे। यह थेरेपी बच्चों को शब्दों के सही और स्पष्ट उच्चारण करने में मदद करेगी, और बोलचाल से जुड़ी कमियों को भी दूर करेगी।

हकलाने वाले बच्चों के माता-पिता के लिए सुझाव

  • धैर्य रखें और समझें: हकलाना एक सामान्य स्थिति है, और यह आपके बच्चे की गलती नहीं है।
  • अपने बच्चे को धीरे-धीरे बोलने के लिए प्रोत्साहित करें: धीमी गति से बोलने से आपके बच्चे को अपने शब्दों पर अधिक नियंत्रण रखने में मदद मिल सकती है।
  • अपने बच्चे के बोलने में बाधा न डालें: अपने बच्चे को खत्म न करें या उसके शब्दों को पूरा न करें।
  • अपने बच्चे के साथ बातचीत का आनंद लें: हकलाने पर ध्यान केंद्रित न करें, और अपने बच्चे के साथ बातचीत का आनंद लेने की कोशिश करें।
  • डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।

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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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