सफलता के गुर, 40 की उम्र से पहले सीखिए ये लाइफ स्किल

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सही समय पर यदि सही काम नहीं करें तो बाद में पछताने के सिवा कुछ नहीं बचता। इसीलिए कहा जाता है कि समय रहते सब कर लेना चाहिए, सीख लेना चाहिए। कई बार हमें कुछ बातें बहुत देर से पता चलती हैं और हम सोचते हैं कि यदि ये पहले मालूम होता तो हम जीवन में गलतियां नहीं करते। आज हम आपको कुछ ऐसी ही बातें बताने जा रहे हैं जो 40 साली की उम्र से पहले समझ लेना बहुत जरुरी है।

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  • आपके आसपास अधिकांश लोग आत्मकेंद्रित हैं। इसीलिए किसी की भी बातों में मत आइये और कोई भी धारणा बनाने ये निर्णय लेने से पहले खुद विचार कीजिए। अपनी समझ से आगे बढ़ियें, किसी की सलाह पर नहीं।
  • लोगों से डील करना सीखिए। भावनाओं की बजाय दिमाग से निर्णय लें। किसी की भी बात का इतना असर मत लीजिए कि वो आपके दिल और दिमाग पर हावी हो जाए।
  • अपने बारे में रहस्य बनाकर रखिए। जिसका व्यक्तित्व रहस्यमयी होता है लोग उससे प्रभावित होते हैं और डरते भी हैं। किसी के भी सामने पूरी तरह मत खुलिये।
  • अपनी आलोचना खुद करिए। देखिये कि आपमें क्या कमी है और उसे सुधारने की कोशिश कीजिए। अगर कोई दूसरा आपकी गलती बताता है तो उसपर बुरा मानने की बजाय विचार कीजिए।
  • हर चीज पर संदेह करना और सवाल पूछना..आगे बढ़ने की निशानी है। वो हर बात जो आपको समझ नहीं आ रही उसे लेकर प्रश्न कीजिए। इससे आपकी सीखने की क्षमता बढ़ेगी।
  • आपका बात करने का तरीका और सलीका किसी को प्रभावित करने की पहली कुंजी है। अपने आपको प्रभावशाली ढंग से पेश करना सीखिये।
  • अपनी सफलता और असफलता को हैंडल करना सीखिये। सफल होने पर अपने आसपास के लोगों को भी क्रेडिट दीजिए और असफलता मिलने पर उसका ठीकरा दूसरों पर मत फोड़िए। ऐसा करने से आप एक अच्छे लीडर साबित होंगे।
  • लोगों को माफ कर आगे बढ़ना सीखिये। किसी ने अगर आपका दिल दुखाया है तो उससे बदला लेने की बजाय आगे बढ़ जाइये।
  • आप जितने सफल होते जाएं उतनी विनम्रता अपनाते जाइये। आपकी विनम्रता आपको निज जीवन और व्यावसायिक क्षेत्र में लोकप्रिय बनाएगी।

About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।