Gardening Tips: स्कूलों में सिखाया जा रहा है बिना मिट्टी के गार्डनिंग करने का तरीका, आप भी जानें कैसे करते हैं इस तकनीक का इस्तेमाल

Gardening Tips: अब स्कूलों में भी बागवानी करना सिखाया जाएगा। इससे बच्चों को प्रकृति से जोड़ने, उन्हें स्वस्थ भोजन के महत्व के बारे में शिक्षित करने में मदद मिलेगी।

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Gardening Tips: जैसे-जैसे समय बदल रहा है वैसे-वैसे खेती किसानी में भी नई-नई तकनीक आने लगी है और नई-नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाने लगा है। आजकल किस नई तकनीक का इस्तेमाल कर खेती को बढ़ा रहे हैं। आज के इस बदलते दौर में हाइड्रोपोनिक प्रणाली खेती बागवानी को दिन पर दिन आसान बना रही है। इस प्रणाली की मदद से खेती किसानी में आने वाली चुनौती और मुश्किलें कम हो जाएगी। अब स्कूली पाठ्यक्रम में बागवानी को शामिल करने का फैसला किया है। यह पहल बच्चों को प्रकृति से जोड़ने और उन्हें स्वस्थ भोजन के महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए की गई है। आज हम आपको इस लेख में विस्तार से बताएंगे हाइड्रोपोनिक खेती क्या होती है और ये कैसे काम करती है, तो चलिए जानते हैं।

कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को बागवानी सिखाई जाएगी। बागवानी को स्कूलों के पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में शामिल किया जाएगा। छात्रों को सब्जियां, फल, फूल और जड़ी-बूटियां उगाने के तरीके सिखाए जाएंगे। बागवानी के लिए स्कूलों में विशेष बगीचे बनाए जाएंगे। छात्रों को बागवानी के लिए आवश्यक उपकरण और बीज उपलब्ध कराए जाएंगे।इस तकनीक के बारे में बच्चों को इसलिए सिखाया जाएगा क्योंकि जैसे-जैसे समय बदल रहा है वैसे-वैसे जगह की कमी होने लगी है ऐसे में इस तकनीक का इस्तेमाल कर कम जगह पर भी बागवानी की जा सकेगी।

क्या होती है हाइड्रोपोनिक खेती?

हाइड्रोपोनिक खेती मिट्टी के बिना पौधों को उगाने की एक तकनीक है। इस तकनीक में, पौधों को पानी में घुले पोषक तत्वों से पोषण मिलता है। हाइड्रोपोनिक खेती पारंपरिक खेती की तुलना में कई फायदे प्रदान करती है,जैसे

1. हाइड्रोपोनिक खेती में पारंपरिक खेती की तुलना में 90% तक कम पानी का उपयोग होता है। यह एक महत्वपूर्ण लाभ है, क्योंकि पानी एक मूल्यवान संसाधन है जो तेजी से दुर्लभ होता जा रहा है।

2. हाइड्रोपोनिक खेती को छोटे स्थानों में भी किया जा सकता है, जैसे कि घरों, अपार्टमेंटों, या छतों पर। यह उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है जिनके पास बगीचे के लिए जगह नहीं है।

3. हाइड्रोपोनिक खेती में, पौधे तेजी से बढ़ते हैं और अधिक पैदावार देते हैं। यह किसानों के लिए अधिक लाभ का मतलब है।

4. हाइड्रोपोनिक खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं होता है। यह पर्यावरण के लिए बेहतर है और स्वस्थ भोजन का उत्पादन करता है।

हाइड्रोपोनिक खेती कैसे काम करती है?

हाइड्रोपोनिक खेती में, पौधों को पानी में घुले पोषक तत्वों से पोषण मिलता है। पानी को एक विशेष माध्यम में डाला जाता है, जैसे कि नारियल के रेशे, पीट काई, या रेत। पौधों की जड़ें इस माध्यम में बढ़ती हैं और पानी से पोषक तत्वों को अवशोषित करती हैं।

हाइड्रोपोनिक खेती को किन-किन तरीको से किया जा सकता है

1. डिप फ्लो तकनीक: इस तकनीक में, पौधों की जड़ों को पानी के घोल में डुबोया जाता है। पानी के घोल में पोषक तत्व होते हैं जो पौधों को बढ़ने के लिए आवश्यक होते हैं।

2. फ्लो तकनीक: इस तकनीक में, पौधों की जड़ों को पानी के घोल से भर दिया जाता है। फिर पानी को वापस टैंक में निकाल दिया जाता है। यह प्रक्रिया हर कुछ मिनटों में दोहराई जाती है।

3. एरोपोनिक तकनीक: इस तकनीक में, पौधों की जड़ों को हवा में उगाया जाता है। पानी और पोषक तत्वों का एक मिश्रण हवा में छिड़का जाता है, जो जड़ों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।

हाइड्रोपोनिक खेती के क्या-क्या फायदे होते हैं

पानी की बचत: हाइड्रोपोनिक खेती में पारंपरिक खेती की तुलना में 90% तक कम पानी का उपयोग होता है।

जगह की बचत: हाइड्रोपोनिक खेती को छोटे स्थानों में भी किया जा सकता है, जैसे कि घरों, अपार्टमेंटों, या छतों पर।

अधिक पैदावार: हाइड्रोपोनिक खेती में, पौधे तेजी से बढ़ते हैं और अधिक पैदावार देते हैं।

पर्यावरण के अनुकूल: हाइड्रोपोनिक खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं होता है।

स्वस्थ भोजन: हाइड्रोपोनिक खेती में उगाए गए पौधे रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से मुक्त होते हैं।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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भावना चौबे

भावना चौबे

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