Parenting Tips: टाइगर पेरेंटिंग होती है बहुत खतरनाक, कहीं आप तो नहीं करते अपने बच्चों के साथ ऐसा, हो जाएं सतर्क

Parenting Tips: टाइगर पेरेंटिंग, पेरेंटिंग स्टाइल का एक रूप है जो सख्त अनुशासन, उच्च अपेक्षाओं और लगातार दबाव पर आधारित है। इस पेरेंटिंग स्टाइल में माता-पिता अपने बच्चों को हमेशा हर चीज में आगे रहने का दबाव डालते हैं।

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Parenting Tips: बच्चों की परवरिश करना माता-पिता के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी और चुनौती होती है। हर माता-पिता का अपने बच्चों के जीवन में एक अहम किरदार रहता है। सभी माता-पिता यही चाहते हैं कि उनका बच्चा अच्छे संस्कार सीखे, अच्छी पढ़ाई करें और जीवन में खूब तरक्की हासिल करें। बच्चों की परवरिश करने के कई तरीके होते हैं जिन्हें पेरेंटिंग स्टाइल कहा जाता है। टाइगर पेरेंटिंग भी एक प्रकार की पेरेंटिंग स्टाइल है। क्या आप जानते हैं टाइगर पेरेंटिंग क्या होता है? अगर नहीं तो आज हम आपको इस लेख के द्वारा टाइगर पेरेंटिंग के बारे में बताएंगे।

टाइगर पेरेंटिंग क्या होता है?

टाइगर पेरेंटिंग एक प्रकार की ऐसी पेरेंटिंग स्टाइल जिसमें माता पिता अपने बच्चों के साथ सख्त व्यवहार करते हैं, हमेशा अपने बच्चों को अच्छे नंबर लाने का दबाव डालते हैं और अगर जब बच्चे अच्छे नंबर नहीं लाते हैं या कोई गलती करते हैं तो उन्हें खूब डाट फटकार लगाते हैं और उन उन्हे हद से ज्यादा डिसिप्लिन सिखाते हैं। इस प्रकार की पेरेंटिंग को टाइगर पेरेंटिंग कहा जाता है। टाइगर पेरेंटिंग के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव होते हैं लेकिन सकारात्मक से ज्यादा नकारात्मक प्रभाव होते हैं।

टाइगर पेरेंटिंग के क्या सकारात्मक प्रभाव होते हैं

टाइगर पेरेंटिंग बाली बच्ची अच्छा पढ़ाई में आगे रहनी की कोशिश करते हैं, उन्हें हर काम में नंबर बनाना पसंद होता है। इस प्रकार बिहार क्षेत्र में उच्च स्तर प्राप्त कर सकते हैं।

टाइगर पेरेंटिंग वाली बच्ची मैं कूट-कूट कर अनुशासन भरा होता है, वे कोई भी गलत काम करने से पहले 10 बार सोचते हैं। हमेशा कठिन परिश्रम करते हैं।

टाइगर पेरेंटिंग वाले बच्चे लक्ष्य केंद्रित और महत्वाकांक्षी होते हैं। वे जो भी लक्ष्य को पाना चाहते हैं उसमें कड़ी मेहनत करते हैं और जब तक वह नहीं मिलता है तब तक हार नहीं मानते।

टाइगर पेरेंटिंग के क्या नकारात्मक प्रभाव हैं

टाइगर पेरेंटिंग बच्चों में चिंता, तनाव और अवसाद का कारण बन सकती है। इस प्रकार की पेरेंटिंग में बच्चे कभी भी अपने माता-पिता से खुलकर बात नहीं कर पाते हैं।

लगातार आलोचना बच्चों के आत्मसम्मान को कम कर सकती है। हमेशा अपनी बच्चों की आलोचना करना उनकी आत्मा सम्मान को ठेस पहुंचा सकता है और बच्चे अपने आप को सभी से कमजोर और कम महसूस कर सकते हैं।

टाइगर पेरेंटिंग बच्चों में भावनात्मक समस्याएं पैदा कर सकती है, जैसे कि भावनाओं को दबाना और दूसरों से जुड़ने में कठिनाई। इस प्रकार की पेरेंटिंग स्टाइल के चलते बच्चे कभी भी अपने मन की बातें सांझा नहीं कर पाते हैं हमेशा अपनी भावनाओं को मन में दबाकर रखते हैं।

कुछ बच्चे टाइगर पेरेंटिंग के खिलाफ विद्रोह कर सकते हैं और अपने माता-पिता के मूल्यों को अस्वीकार कर सकते हैं। जब बच्चे ऐसा करते हैं तब उनका अपने माता-पिता की साथ रिश्ता खराब हो जाता है और ऐसे में माता-पिता और बच्चों दोनों का जीवन दुखी रहता है।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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