Parenting Tips: बच्चों की प्रथम पाठशाला घर होती है, यह बात बिल्कुल सच है, क्योंकि बच्चा सबसे पहले अपने घर से ही सारी बातें सिखता है। यहां से ही वह समाज में कैसे बर्ताव करना है, अच्छी आदतें, अनुशासन और अपनी जिम्मेदारियां समझता है। इसलिए यह माता-पिता का कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों को सही बातें सिखाएं ताकि उनका भविष्य बेहतर हो सके।
जैसे-जैसे समय बदलता है, वैसे-वैसे पेंटिंग का तरीका भी बदलता है। आजकल माता-पिता को बच्चों से अच्छे संवाद और समझदारी से पेश आना चाहिए, ताकि बच्चे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सके और समाज में अपने कदम सही तरीके से रखें।
क्या होती है जेलीफिश पेरेंटिंग
पश्चिमी देशों से शुरू हुई जेलीफिश पेरेंटिंग स्टाइल बच्चों को अपनी इच्छाओं और फैसलों में स्वतंत्रता देता है। इसे जेलीफिश का नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि इसमें लचीलापन और एडोप्टेबिलिटी होती है, ठीक वैसे ही जैसे जेलीफिश समुद्र में अपने आसपास के माहौल के अनुसार खुद को ढाल लेती है। इस पेरेंटिंग स्टाइल्स में माता-पिता का रवैया शांत और सुलझा होता है। वे बच्चों पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डालते हैं, बल्कि उन्हें अपनी पसंद और नापसंद के हिसाब से फैसले लेने की पूरी स्वतंत्रता देते हैं। इस प्रकार की पेरेंटिंग में बच्चों को अपने फैसले खुद लेने का अवसर मिलता है, जिससे उनकी आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
जेलीफिश पेरेंटिंग के फायदे
जेलीफिश पेरेंटिंग बच्चों और माता-पिता दोनों के लिए फायदेमंद साबित होती है। इस स्टाइल में माता-पिता और बच्चों के बीच स्वस्थ और खुला संवाद बना रहता है। बच्चे अपनी इच्छाओं और फैसलों को बिना किसी डर के व्यक्त कर सकते हैं और माता-पिता उनका सम्मान करते हुए उनका मार्गदर्शन करते हैं।
इस पेरेंटिंग स्टाइल में कोई भी सीक्रेट या छुपी बात नहीं रहती है, जिससे रिश्तों में विश्वास और पारदर्शिता बनी रहती है। इसके अलावा बच्चों को मानसिक और भावनात्मक सपोर्ट भी मिलता रहता है, जिसे भी अपने विचारों और भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त कर पाते हैं और खुद को समझने की क्षमता विकसित करते हैं।