Parenting Tips: क्या होती है प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग? कहीं आप इस कैटेगरी में तो नहीं है शामिल, जानें

Parenting Tips: प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग से बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह पेरेंटिंग शैली बच्चों को आत्मविश्वास, स्वतंत्रता, निर्णय लेने की क्षमता और सामाजिक कौशल विकसित करने से रोक सकती है। माता-पिता को अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए अति-सुरक्षात्मक होने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें बच्चों को अपनी गलतियों से सीखने और अपनी स्वतंत्रता विकसित करने की अनुमति देनी चाहिए।

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Parenting Tips: माता-पिता का फर्ज निभाना दुनिया की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है। हर माता पिता अपने बच्चों की अच्छी से अच्छी परवरिश करने की कोशिश करते हैं। हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा जीवन में खूब तरक्की करें खूब आगे बढ़े। हर माता-पिता का परवरिश करने का तरीका अलग-अलग होता है। इन्ही तरीकों में से एक होता है प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग। इस प्रकार की पेरेंटिंग में माता-पिता कभी भी अपने बच्चों को अपनी नजर से दूर नहीं जाने देते हैं, अपने बच्चों के लिए ओवर प्रोटेक्टिव होते हैं। प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग एक प्रकार की पेरेंटिंग शैली है जिसमें माता-पिता अपने बच्चों को हर तरह से सुरक्षित रखने की कोशिश करते हैं। वे बच्चों को किसी भी तरह के खतरे या नुकसान से बचाने के लिए अति-सुरक्षात्मक हो जाते हैं। यह पेरेंटिंग शैली बच्चों के विकास और स्वतंत्रता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। आज हम आपको इस लेख के द्वारा बताएंगे कि प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग के क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं।

प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग के क्या लक्षण है

  • बच्चों को हर समय अपनी देखरेख में रखना
  • बच्चों को किसी भी तरह के जोखिम लेने से रोकना
  • बच्चों को हर चीज से बचाने की कोशिश करना
  • बच्चों को अपने फैसले खुद लेने की अनुमति न देना
  • बच्चों पर लगातार नजर रखना

प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग के बच्चों पर के नकारात्मक प्रभाव है

  • बच्चों में आत्मविश्वास की कमी
  • बच्चों में स्वतंत्रता की कमी
  • बच्चों में निर्णय लेने की क्षमता का विकास न होना
  • बच्चों में सामाजिक कौशल का विकास न होना
  • बच्चों में चिंता और तनाव

प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग से बचने के लिए क्या सुझाव

  • बच्चों को अपने फैसले खुद लेने दें
  • बच्चों को जोखिम लेने दें
  • बच्चों को अपनी गलतियों से सीखने दें
  • बच्चों को अपनी गलतियों के लिए जिम्मेदार बनने दें
  • बच्चों को अपनी स्वतंत्रता विकसित करने दें।

 

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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