आपने कभी गौर किया है कि जब एयर होस्टेस या आर्मी में भर्ती होती है, तो उनकी हाइट मापने (Height Measured) का टाइम ज़्यादातर “शाम” क्यों होता है? ये कोई संयोग नहीं बल्कि एक साइंटिफिक कारण है। हमारी हाइट दिन के अलग-अलग समय में थोड़ी-बहुत बदलती रहती है। चलिए, इस दिलचस्प फैक्ट को समझते हैं।
दरअसल, हमारी रीढ़ की हड्डी (spine) दिनभर के काम और गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से थोड़ी सिकुड़ जाती है। सुबह उठते वक्त जब शरीर आराम करता है, तब रीढ़ में थोड़ी लचक रहती है और हाइट थोड़ी ज़्यादा मापी जाती है।

क्यों होती है सुबह-शाम की हाइट में फर्क?
सुबह के समय जब हम नींद से उठते हैं, तब हमारे इंटरवर्टिब्रल डिस्क यानी रीढ़ की हड्डी के बीच की जगह थोड़ी फैली हुई होती है। इससे शरीर थोड़ा लंबा लगता है। जैसे-जैसे दिन बीतता है, ग्रेविटी यानी गुरुत्वाकर्षण का असर शरीर पर पड़ता है और ये डिस्क दबने लगते हैं, जिससे हाइट में 1 से 1.5 सेंटीमीटर तक का फर्क आ सकता है।
डॉक्टर्स और फिटनेस एक्सपर्ट्स भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि सुबह और शाम की हाइट में थोड़ा फर्क आना आम बात है। यही वजह है कि जहां सटीक हाइट का मतलब अहम होता है, वहां दोपहर या शाम का वक्त मापने के लिए सही माना जाता है।
एयर होस्टेस और आर्मी में हाइट टेस्ट का यह नियम क्यों जरूरी है?
एविएशन इंडस्ट्री और डिफेंस फोर्सेज में हाइट का एक तय मापदंड होता है। उदाहरण के लिए, एयर होस्टेस के लिए न्यूनतम हाइट 155 सेमी और आर्मी में भर्ती के लिए पुरुषों व महिलाओं की अलग-अलग हाइट तय की गई होती है।
अगर सुबह हाइट मापी जाए तो वह कृत्रिम रूप से ज्यादा आ सकती है और कैंडिडेट क्वालिफाई कर सकता है। लेकिन वास्तविक और स्थायी हाइट जानने के लिए टेस्ट शाम को किया जाता है। इससे फेयर चांस और सही सेलेक्शन सुनिश्चित किया जा सकता है।